नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली सरकार और दिल्ली विकास प्राधिकरण से पूछा है कि दिल्ली के मास्टर प्लान-2021 में संशोधन का प्रस्ताव करने से पहले इसके पर्यावरण प्रभाव को लेकर कोई अध्ययन किया गया है, अगर हां तो कोर्ट को इसके तथ्यों को बताएं. वहीं, कोर्ट ने दिल्ली में सीलिंग अभियान के दौरान शाहदरा जोन में एमएलए ओपी शर्मा और पार्षद गुंजन गुप्ता ने समिति के सदस्यों के कार्यों में बाधा डालने पर उनको कारण बताओ नोटिस जारी किया है और उन्हें अगली सुनवाई में व्यक्तिगत रूप से पेश होने का निर्देश दिया है. जस्टिस मदन बी. लोकूर और जस्टसि दीपक गुप्ता की बेंच ने दिल्ली सरकार और दिल्ली विकास प्राधिकरण समेत अन्य स्थानीय प्राधिकारियों से हफ्ते के भीतर हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया. इस मामले में दो सप्ताह बाद सुनवाई होगी.
शीर्ष कोर्ट ने ये निर्देश दिए
– मास्टर प्लान में संशोधन के प्रस्ताव में इमारतों की सुरक्षा, यातायात की भीड़, पार्किंग और नागरिक सुविधाओं आदि का ध्यान रखा गया है तो पूरा विवरण हलफनामे में दें.
– 2007 से दिल्ली में प्रदूषण स्तर के बारे में केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति के उपलब्ध आंकड़े सामने रखें.
– दिल्ली के पुलिस आयुक्त को निर्देश, निगरानी समिति के सदस्यों की समुचित सुरक्षा सुनिश्चत की जाए, ताकि वे अपने कर्तव्यों का निर्वहन कर सकें.
यहां कोर्ट ने दिखाई नाराजगी
– बेंच ने न्यायालय द्वारा नियुक्त निगरानी समिति की रिपोर्ट को गंभीरता से लिया.
– दिल्ली में सीलिंग अभियान के दौरान बाधा डालने वाले एमएलए ओपी शर्मा और पार्षद गुंजन गुप्ता को कारण बताओ नोटिस जारी.
– कोर्ट ने एमएलए और पार्षद से नोटिस के जरिए पूछा, क्यों न दोनों के खिलाफ अवमानना की कार्यवाही शुरू की जाए.
– कोर्ट ने एमएलएऔर पार्षद को अगली सुनवाई व्यक्तिगत रूप से कोर्ट में पेश होने का निर्देश दिया.
कोर्ट ने इससे पहले दिल्ली में गैरकानूनी निर्माण को लेकर गंभीर चिंता जताते हुए टिप्पणी की थी कि इमारतों के निर्माण के लिए मंजूरी से संबंधित कानून का शासन पूरी तरह चरमरा गया है. बता दें कि राजधानी में दोबार शुरू हुए सीलिंग अभियान से बने हालातों के मद्देनजर कारोबारियों को राहत देने के लिए करने के लिए दिल्ली विकास प्राधिकरण ने मास्टर प्लान 2021 में संशोधन करके इमारत के एफएआर क्षेत्र को उस भूखंड के आकार का करने का प्रस्ताव किया था, जिस पर उसका निर्माण हुआ है. बता दें कि कोर्ट ने 2006 में गठित निगरानी समिति को बहाल करते हुए उसे अनधिकृत निर्माण की पहचान करके उन्हें सील करने का निर्देश दिया था.