नयी दिल्ली। कोयला खनन कंपनियों कोल इंडिया लिमिटेड तथा सिंगारेनी कोलियरीज कंपनी लिमिटेड और बिजली उत्पादक कंपनियों ने आपूर्ति किये जाने वाले कोयले की गुणवत्ता तय करने के लिए सीएसआईआर के केंद्रीय खनन एवं ईंधन अनुसंधान संस्थान (सीआईएमएफआर) के साथ करार किया है।
कोयला की गुणवत्ता की होगी जाँच
केंद्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्री डाॅ. हर्षवर्द्धन तथा केंद्रीय ऊर्जा मंत्री पीयूष गोयल की मौजूदगी में आज तीनों पक्षों के वरिष्ठ अधिकारियों ने 10 साल के समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किये। समझौते के तहत परियोजना की लागत सालाना न्यूनतम 250 करोड़ रुपये होगी। यह खर्च कोयला उत्पादक कंपनियाँ तथा इसका इस्तेमाल करने वाली बिजली कंपनियाँ आधा-आधा वहन करेंगी। इसके तहत हर साल कोयले के 30 करोड़ टन नमूनों की जाँच का अनुमान है।
गोयल ने बताया कि गुणवत्ता की जाँच की तकनीक धनबाद स्थित सीआईएमएफआर द्वारा विकसित की गई है।जाँच के बाद कोयले की ग्रेडिंग तय की जायेगी जिससे ग्राहक कंपनियों (बिजली कंपनियों) के लिए अपनी जरूरत के अनुसार सही गुणवत्ता वाले काेयले की खरीद अासान हो जायेगी।साथ ही इससे कोयला कंपनियों को भी गुणवत्ता के हिसाब से उनके उत्पाद का मूल्य मिलेगा।