देहरादून: प्रदेश सरकार 21 हजार उपनल कर्मियों को जल्द खुशखबरी देने जा रही है। सरकार ने इनका मानदेय बढ़ाने को तैयार है। अब केवल निर्णय इस बात पर लेना है कि इनका न्यूनतम वेतन कितना रखा जाएगा। सातवें वेतनमान की संस्तुतियों को भी इसका आधार बनाया जा सकता है। इस पर जल्द ही कैबिनेट की मुहर लगा दी जाएगी।
प्रदेश में इस समय विभिन्न महकमों में 21 हजार से अधिक कर्मी उपनल के माध्यम से अपनी सेवाएं दे रहे हैं। इनमें सचिवालय से लेकर तमाम सरकारी कार्यालयों, राज्य सरकार के उपक्रम व केंद्र सरकार के उपक्रम शामिल हैं।
दरअसल, प्रदेश में अभी उपनल के जरिए इंजीनियर से लेकर सिक्योरिटी गार्ड तक के लिए विभिन्न विभागों को सेवाएं दी जाती हैं। इसके लिए कार्य से हिसाब से अलग-अलग मानदेय निर्धारित किया गया है। मसलन अकुशल को 6400 रुपये, अर्द्धकुशल को 7600, कुशल को 8400 और उच्च कुशल को 18000 रुपये मानदेय नियत है। दो वर्ष पूर्व प्रदेश सरकार ने सभी को अलग से 2800 रुपये मानदेय दिए जाने का प्रावधान भी किया है।
उपनल कर्मी लंबे समय से सरकार मानदेय बढ़ाने की मांग करे रहे हैं। बीते माह उपनल कर्मियों ने बकायदा आंदोलन तक किया था। इसके बाद हाल ही में उपनलकर्मियों की सरकार से वार्ता भी हुई, जिसमें उनका मानदेय बढ़ाने का आश्वासन दिया था। सरकार भी मानदेय बढ़ाने को तैयार है। यह मानदेय कितना होगा, अब इस पर मंथन चल रहा है।
दरअसल, उपनल कर्मी समान पद, समान वेतन की मांग कर रहे हैं और सरकार अभी उन्हें यह वेतन देने की स्थिति में नहीं है। माना जा रहा है कि ऐसे में सातवें वेतनमान की संस्तुतियों के आधार पर यानी न्यूनतम मजदूरी 18000 रुपये को इसका आधार बनाया जा सकता है। यह थोड़ा कम और ज्यादा हो सकता है। सरकार भी इसी दिशा में आगे कदम बढ़ा रही है।
पहले माना यह जा रहा था कि बुधवार को होने वाली कैबिनेट बैठक में इस मसले को लाया जा सकता है। इसकी तैयारी भी थी, लेकिन यह मसला कैबिनेट में नहीं उठा। अब माना जा रहा है कि विचलन के माध्यम से इस पर निर्णय लिया जा सकता है। सरकार के प्रवक्ता व कैबिनेट मंत्री मदन कौशिक ने इसकी पुष्टि की। उन्होंने कहा कि सरकार मानदेय बढ़ाने को तैयार है। जल्द ही इसे अंतिम रूप दे दिया जाएगा।