लखनऊ.ओपी सिंह ही यूपी के नए डीजीपी होंगे। केन्द्र सरकार द्वारा उन्हें रिलीव कर दिया गया है। 21 दिन के बाद अब यह तय हो गया है कि 1983 बैच के आईपीएस ओपी सिंह ही प्रदेश के अगले डीजीपी होंगे। जानकारी के अनुसार ओपी सिंह मंगलवार तक प्रदेश की कमान संभाल सकते हैं। केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल (सीआईएसएफ) के डीजी पद से उन्हें कार्यमुक्त कर दिया गया है। प्रमुख सचिव, गृह अरविंद कुमार ने बताया कि , ओपी सिंह मंंगलवार को चार्ज लेंगे।
-ओपी सिंह को डीजीपी बनाए जाने को लेकर प्रदेश और केंद्र सरकार में कुछ मतभेद बताए जा रहे थे। जो अब दूर हो गए हैं। प्रदेश सरकार ने ओपी सिंह को रिलीव करने का लेटर जारी कर दिया है।
31 दिसंबर को सुलखान सिंह हुए हैं रिटायर
-यूपी के डीजीपी सुलखान सिंह आज 31 दिसंबर, 2017 को रिटायर हुए थे। उनकी जगह बिहार के गया जिले के रहने वाले ओपी सिंह प्रदेश के नए डीजीपी बनाए गए थे।
-उनके रिलीव को लेकर केन्द्र सरकार में मामला अटक गया था। अब वो प्रदेश के नए डीजीपी के रूप में कमान संभाएंगे।
कौन हैं ओपी सिंह
-ओपी सिंह बिहार के गया जिले के मीरा बिगहा गांव के रहने वाले हैं। वह वर्तमान में सीआईएसएफ डीजी के पद पर तैनात हैं। वह 1983 बैंच के यूपी कैडर के आईपीएस ऑफिसर हैं। वह केंद्र और यूपी में कई महत्वपूर्ण जिम्मेदारियों को निभा चुके हैं।
-ओपी सिंह को 1993 में बहादुरी के लिए इंडियन पुलिस मेडल, 1999 में सराहनीय सेवाओं के लिए राष्ट्रपति पुलिस मेडल और 2005 में विशिष्ट सेवाओं के लिए राष्ट्रपति पुलिस पदक मिल चुका है।
खासियत
-कड़क मिजाज के आईपीएस ओपी सिंह अपनी पोस्टिंग के दौरान खासा चर्चा में रहे है।
-महत्वपूर्ण जिम्मेदारियों के साथ सीआईएसएफ को दिल्ली मेट्रो रेल कॉर्पोरेशन, अति महत्वपूर्ण व्यक्ति (VIP) सुरक्षा, आपदा प्रबंधन तथा हती में यूएन की सशस्त्र व पुलिस यूनिट (FPU) स्थापना की सुरक्षा करने जैसे कार्य भी हाल ही में को सौंपे गए थे।
लखनऊ के तीन बार एसएसपी रहे हैं ओपी सिंह
1983 बैच के आईपीएस ओमप्रकाश सिंह मूल रूप से गया, बिहार के निवासी हैं। वह अल्मोड़ा, खीरी, बुलंदशहर, लखनऊ, इलाहाबाद, मुरादाबाद में बतौर एसएसपी काम कर चुके हैं। ओपी सिंह 3 बार लखनऊ के एसएसपी रह चुके हैं। आजमगढ़ और मुरादाबाद के डीआईजी व मेरठ जोन के आईजी भी रह चुके हैं। इनके पास सीआरपीएफ का लंबा अनुभव है। वह दिल्ली में सीआईएसएफ के डीजी के तौर पर सेवाएं दे रहे हैं।
-दूसरी बार, 2 जून 1995 को अचानक उनका तबादला इलाहाबाद से लखनऊ किया गया, लेकिन कुछ ही घंटे बाद हुए गेस्ट हाउस कांड के कारण उन्हें दो दिन में ही सस्पेंड कर दिया गया।
-तीसरी बार वह भाजपा की कल्याण सिंह की सरकार में लखनऊ के एसएसपी बने। तीन माह नौ दिन तक इस पद पर रहने के बाद उन्हें भ्रष्टाचार निवारण संगठन भेज दिया गया।