चारा घोटाले में सजा काट रहे आरजेडी सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव के दो सहायक जेल में भी उनकी सेवा के लिए पहुंच चुके हैं। इन दोनों सहायकों ने एक फर्जी मामले में सरेंडर कर खुद को उसी दिन गिरफ्तार करवाया जिस दिन लालू को चारा घोटाले के लिए दोषी करार दिया गया। ये दावा पुलिस का है और फिलहाल मामले की जांच चल रही है। इन दो में से एक का नाम मदन यादव है, जो दो गोशाला, एक घर और एसयूवी के मालिक हैं। रांची के रहने वाले मदन यादव फिलहाल किसी सुमित यादव नाम के शख्स से 10000 रुपये छीनने के आरोप में बिरसा मुंडा जेल में बंद हैं। इस मामले में कथित तौर पर उनकी मदद दोस्त लक्ष्मण यादव ने की है, जो खुद भी उसी जेल में बंद हैं। हालांकि आरजेडी इन दोनों को लालू का सहायक न मानते हुए पार्टी का कार्यकर्ता बता रही है।
पुलिस के दावों से बन रही है एक रोचक कहानी
पुलिस के दावों के मुताबिक देखें तो यह मामला बेहद रोचक हो गया है। दरअसल जब सुमित नाम के शख्स ने 23 दिसंबर को मदन और लक्ष्मण के खिलाफ केस दर्ज कराया तो पुलिस के पास संदेह की कोई वजह नहीं थी। इसी दिन लालू को चारा घोटाले में कोर्ट ने दोषी ठहराया था। मदन और लक्ष्मण, दोनों ही आरोपियों ने उसी दिन सरेंडर भी किया और दोनों को बिरसा मुंडा जेल भेज दिया गया।
अचानक से जब मदन गायब हुए तो रांची में उन्हें जानने वाले लोगों को संदेह हुआ। मदन को जानने वाले एक चाय विक्रेता मनोज कुमार ने बताया कि मदन की आर्थिक हालत काफी अच्छी है। उन्हें चोरी या छिनैती करने की कोई जरूरत नहीं है। उन्होंने भी यह बात कही कि मदन निश्चित तौर पर लालू की सेवा के लिए जेल गए हैं।
पुलिस को भी इस बात की जानकारी हुई कि मदन लालू के परिचित रहे हैं। लालू जब भी रांची आते मदन उनकी सेवा में रहते थे। इस जानकारी के बाद पुलिस ने पूरे मामले की जांच शुरू की। सूत्रों का कहना है कि मदन के सहयोगी लक्ष्मण भी पहले लालू के रसोइए रह चुके हैं। पुलिस अब 23 दिसंबर की इस कथित छिनैती की वारदात की जांच कर रही है।