एजेंसी/ लंदन
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने कॉफी पीने से कैंसर होने की संभावनाओं को खारिज किया है। उसके मुताबिक कॉफी से कैंसर होने की संभावनाओं के पीछे कोई पर्याप्त सबूत नहीं मिले हैं। लेकिन इंटरनैशनल कैंसर रिसर्च एजेंसी (IARC) ने एक रिपोर्ट में कहा है कि न सिर्फ कॉफी बल्कि कोई भी ‘बेहद गर्म’ पेय पदार्थ पीने से कैंसर होने की संभावना बढ़ जाती है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि चीन, ईरान और दक्षिणी अमेरिका में चाय पीना एक आम आदत है और यहां लोग बेहद गर्म चाय-कॉफी पीना पसंद करते हैं। इन देशों में आमतौर पर पी जाने वाली चाय का तापमान 65-70 डिग्री सेल्सियस से भी ज्यादा होता है। यह उत्तरी अमेरिका और यूरोप में पी जाने वाली चाय के तापमान से काफी ज्यादा होता है। IARC द्वारा आमंत्रित किए गए एक्सपर्ट्स ने माना कि पर्याप्त सबूतों की कमी के चलते कॉफी को कैंसर के कारण के तौर पर घोषित नहीं किया जा सकता।
ऑक्सफर्ड यूनिवर्सिटी के एक प्रफेसर ओवन यंग ने कहा, ‘मुझे समझ नहीं आता कि आखिर कॉफी को क्यों कैंसर के प्रमुख कारणों में से एक माना जाता है।’ इन्होंने ही पहले कैंसर और कॉफी के बीच संबंध पर अध्ययन किया था। वह आईएआरसी के एक्सपर्ट ग्रुप का हिस्सा नहीं थे। उन्होंने कहा, ‘जो ताजा और पुख्ता सबूत मौजूद हैं, उनके मुताबिक कॉफी से कैंसर का रिस्क नहीं होता है। हालांकि कोई भी बेहद गर्म पेय पदार्थ पीने से कैंसर होने की संभावना काफी बढ़ जाती है।’
आईएआरसी प्रोग्राम के डेप्युटी हेड डाना लूमिस ने कहा कि हमने जिन देशों में बेहद गर्म पेय पदार्थ पिए जाते थे, उनमें और कैंसर के बीच संबंध का अध्ययन करना शुरू किया। उन्होंने कहा कि 60 डिग्री सेल्सियस तापमान के गर्म पदार्थ पीने वे त्वचा को जला देते हैं और ऐसा लगातार करते रहने से शरीर को नुकसान होता है और कैंसर होने की संभावना बढ़ जाती है। हालांकि उन्होंने ज्यादा गर्म खाना खाने से होने वाले ऐसे किसी नुकसान से इनकार किया।