इस दिन गंगा में दस गोते लगाकर पितृ तर्पण करने से जीवन की अनेक बाधाएं दूर हो जाती हैं। मुख्य रूप से गंगा के धरती पर आगमन का यह पर्व हरिद्वार आदि मैदानी तीर्थों पर मनाया जाता है।
शास्त्रों में कायिक, वाचिक और मानसिक पापों के निवारण के लिए गंगा के मैदानों में आने का दिन गंगा दशहरा नियत किया गया है। इस दिन गंगा आदि पवित्र नदियों और तालाबों में स्नान कर दस गोते लगाने का महत्व है।
मनुष्य अपने जीवन में अनेक पाप करता है। ऐसे दस पापों को क्षमा करने का अवसर दस प्रकार के योग से युक्त गंगा दशहरा देता है। मुख्य रूप से यह पर्व स्नान का पर्व है। स्नानोपरांत पितृ तर्पण करने से पितरों का मोक्ष हो जाता है।
गंगा अवतरण की कथा सुने
गंगा दशहरे के दिन गंगा की कथा सुननी चाहिए। गंगा पूजा के बाद घी में भीगे हुए दस मुठ्ठी काले तिल गंगा जल में छोड़ने चाहिए। गुड़ और सत्तू से बनाए गए दस लड्डू गंध और पुष्प के साथ गंगा में छोड़ें। ऐसा करने से अनेक प्रकार के अव्यक्त पापों का भी नाश हो जाता है।
हरिद्वार गंगा दशहरा स्नान पर्व को सकुशल संपन्न कराने के लिए पुलिस और प्रशासन ने कमर कस ली है। सोमवार सुबह से ही बड़ी संख्या में कुंभनगरी में श्रद्धालुओं की आमद हुई। ये सिलसिला दिन भर चलता रहा। हाईवे से लेकर शहर के अंदर की पार्किंग वाहनों से पैक हो गई।
जिला प्रशासन ने कई लाख श्रद्धालुओं के पहुंचने की उम्मीद को देखते हुए तैयारी ली है। हाईवे से लेकर शहर के अंदर तक चप्पे चप्पे पर पुलिस बल को तैनात कर दिया गया है। मेला क्षेत्र को 12 जोन और 40 सेक्टरों में विभाजित करते हुए एसपी सिटी नवनीत सिंह भुल्लर को जिम्मेदारी सौंपी गई है।
सोमवार को जिलाधिकारी हरबंस सिंह चुघ और एसएसपी राजीव स्वरुप ने अधीनस्थों को निर्देश दिए कि मेला क्षेत्र को अतिक्रमण से मुक्त करा लिया जाए। कहा कि हरकी पैड़ी क्षेत्र के गंगा घाटों पर अधिक समय तक भीड़ को न ठहरने दें बल्कि समय समय पर गंगा घाट खाली कराए जाते रहे। सीसीटीवी कैमरों से मेला क्षेत्र में भीड़ के दबाव का जायजा लेते रहे और यदि किसी स्थान पर अधिक भीड़ होती है तब उस क्षेत्र के अफसर को सूचना दे दी जाए।