
ट्राई ने नवंबर 2009 में 19 रुपये पोर्टिंग चार्ज फिक्स किया था जब सरकार ने मोबाइल नंबर पोर्टेबिलिटी (एमएनपी) शुरू की थी। तब एमएमनपी केवल सर्किल में लागू थी। जुलाई 2015 में केंद्र सरकार ने इसको बढ़ाकर के पूरे देश में लागू कर दिया गया था। इसके बाद एमएनपी कराने वाले कस्टमर की संख्या में उछाल देखने को मिला था। ट्राई ने अब शुल्क को चार रुपये करने का प्रस्ताव दिया है।
इतनी हो गई संख्या
2010-11 में जहां 64 लाख लोगों ने एमएनपी किया था, वहीं 2014-15 में यह बढ़कर के 3.68 करोड़ हो गए। वहीं 2016-17 में इसका आंकड़ा 6.36 करोड़ हो गया। जल्द ही आप फोन में नेटवर्क ना होने के बाद भी किसी भी मोबाइल या लैंडलाइन नंबर पर कॉल कर पाएंगे। टेलीकॉम रेग्यूलेटरी Trai ने इंटरनेट टेलीफोनी तकनीक को मंजूरी दे दी है। इसके तहत यूजर्स वाईफाई के जरिए कॉलिंग कर पाएंगे।
ट्राई की सिफारिशों में कहा गया है कि इस तरह के इंटरनेट टेलीफोनी एप को मोबाइल नंबर सीरीज से जोड़ा जाएगा। दूरसंचार कंपनियां कॉल के लिए शुल्क लेंगी और उन पर सामान्य कॉल से जुड़े सभी नियम लागू होंगे।
ट्राई ने इंटरनेट कॉलिंग को काफी उपयोगी और वॉयस कॉलिंग का किफायती विकल्प करार दिया है। Trai के मुताबिक, “यह उन इलाकों में कॉल सफलता दर को बढ़ाएगी जहां पब्लिक इंटरनेट तो उपलब्ध है लेकिन किसी कंपनी के नेटवर्क ना आते हों।” ट्राई ने जब इस बारे में चर्चा की थी तो टेलीकॉम कंपनियों ने इसका विरोध किया था। कंपनियों को डर है कि इससे वॉयस कॉलिंग से होने वाली उनकी कमाई पर फर्क पड़ेगा।
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