देहरादून: एक ओर गांवों, खासकर पर्वतीय क्षेत्रों के गांवों में बुनियादी सुविधाओं के अभाव में ग्रामीणों का जीना दुश्वार है और बड़ी आबादी हर साल पलायन को मजबूर हो रही है, गांवों में खुले सरकारी प्राथमिक और उच्च प्राथमिक स्कूलों में बच्चे फर्नीचर, पेयजल, बिजली जैसी जरूरतों को तरस रहे हैं। तो दूसरी ओर त्रिस्तरीय पंचायतों की गांवों के विकास के लिए मिलने वाली धनराशि के इस्तेमाल को लेकर घोर लापरवाही उजागर हुई हैं। 
यह हाल तब है जब ग्राम प्रधान पंचायतों के लिए धन की कमी का रोना रोते हुए आंदोलन पर उतारू हैं। ऐसे में तस्वीर का स्याह पहलू देखिए कि 5950 ग्राम पंचायतों ने वित्तीय वर्ष 2016-17 के लिए मिली 8616.28 लाख यानी 86.16 करोड़ की बड़ी राशि बगैर खर्च के बैंकों में दबाए रखी है। बजट की इस बड़ी राशि की पार्किंग से सरकार के माथे पर भी बल पड़े हैं। अब पंचायती राज प्रमुख सचिव ने ग्रामीण निकायों की बैंक खातों में पड़ी धनराशि को कोषागार में पीएलए खाता खुलवाकर जमा करने के निर्देश भी दिए हैं।
ग्राम पंचायतों में बजट की बड़ी राशि की पार्किंग ने ग्रामीण निकायों के निर्वाचित जनप्रतिनिधियों और सरकारी तंत्र की बेपरवाही के साथ उनके बीच तालमेल की कमी की पोल खोल दी है। इस बेदर्दी का शिकार सरकारी प्राथमिक और उच्च प्राथमिक स्कूलों को होना पड़ा है। गांवों में खुले सैकड़ों की संख्या में स्कूलों में फर्नीचर समेत भौतिक संसाधन मुहैया कराना धन की कमी की वजह से भारी पड़ रहा है। हाईकोर्ट के आदेश पर अमल को सरकार को 1200 करोड़ की दरकार है। इसके लिए बकायदा केंद्र सरकार की चौखट पर भी दस्तक दी गई है। वहीं पंचायतें इस राशि का इस्तेमाल न तो गांवों के विकास और न ही स्कूलों में संसाधन जुटाने में कर पाई हैं।
वर्ष 2016-17 में राज्य के विभिन्न जिलों में ग्राम पंचायतों में बकाया धनराशि
जिले, पंचायतों में शेष धनराशि
अल्मोड़ा, 17.14 करोड़
 Live Halchal Latest News, Updated News, Hindi News Portal
Live Halchal Latest News, Updated News, Hindi News Portal
 
		
 
 
						
 
						
 
						
 
						
 
						
