बॉलीवुड अभिनेता आसिफ बसरा का दिल शहरों में न होकर पहाड़ों में बसता था। यही वजह थी कि वह पिछले करीब 5 साल से दलाईलामा की नगरी मैक्लोडगंज में एक आम आदमी की तरह अपना जीवन जी रहे थे। वह धर्मशाला से बाहर तभी जाते थे जब उनको कहीं दूसरी जगह फिल्म की शूटिंग करनी हो। उन्होंने मैक्लोडगंज में लीज पर दो घर ले रखे थे।
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उनका सपना था कि वह धर्मशाला में अपना एक घर बनाएं। पिछले पांच साल में आसिफ हिमाचली संस्कृति से बहुत ज्यादा घुल मिल गए थे। मैक्लोडगंज के आसपास के गांवों में शादी समारोहों के मौकों पर आसिफ बिन बुलाए ही चले जाते थे। वहां जाकर वह पहाड़ की संस्कृति और रिश्तों को बारीकी से समझते थे। वह नीचे बैठकर कांगड़ी धाम का स्वाद लेते थे।
हिमाचली फीचर फिल्म सांझ के निर्देशक अजय सकलानी ने मीडिया से विशेष बातचीत में बताया कि आसिफ बसरा बेहद सरल स्वभाव के थे। उनको पहाड़ से विशेष लगाव था। आसिफ को वह छह साल से जानते थे। फिल्म सांझ में काम के लिए उन्होंने आसिफ को ऑफर किया था।
सांझ फिल्म करने से पहले आसिफ ने शर्त रखी थी कि अगर शूटिंग शहर में होगी तो वह काम नहीं करेंगे। शूटिंग अगर गांवों में होगी तभी वह काम करेंगे। उन्हें शहर पसंद नहीं हैं। धर्मशाला उनका पसंदीदा जगह थी।
आसिफ बसरा मूलत: महाराष्ट्र के अमरावती के रहने वाले थे। 1989 में उन्होंने मुंबई का रुख किया। शुरुआत थियेटर से की। 2016 में उनकी अभिनीत गुजराती फिल्म रोंग साइड राजू को राष्ट्रीय पुरस्कार मिला था।
आसिफ बसरा ने ब्लैक फ्राइडे, क्रिश 3, आउटसोर्सड, हिचकी, जब वी मेट, पाताल लोक, एक विलेन, फ्रीकी अली, लम्हा, वन्स अपॉन ए टाइम इन मुंबई, वेब सीरीज हॉस्टेजस सहित कई मलयालम और गुजराती फिल्मों के अलावा हिमाचल की फिल्म सांझ में भी काम किया, जिसे कई अवार्ड मिल चुके हैं।