महिलाएं हों या पुरुष, 40 की उम्र पार करते ही हड्डियों का चेकअप करवाते रहें। इनकी अनदेखी न करें। नहीं तो बढ़ जाएगा मौत का खतरा, जानिए कैसे?
पीजीआई में हुई एक स्टडी के अनुसार, 40 वर्ष की उम्र पार करते ही खासकर महिलाओं में स्टियोपोरोसिस की शिकायत शुरू हो जाती है। इससे हड्डियां कमजोर होती है और हल्का झटका पड़ने पर टूट जाती हैं। कमजोर हड्डी बेड से गिरने पर भी टूट सकती है या फिर बाथरूम में फिसलने के दौरान भी। युवा अवस्था में जब ऐसी घटना होती है तो फ्रैक्चर की संभावना काफी कम होती है, क्योंकि हड्डियां मजबूत होती है।
इंडोक्राइनोलाजी डिपार्टमेंट के डाक्टर संजय बडाडा कहते हैं कि स्ट्रोजन नाम का एक हार्मोन होता है, जिसका काम कैल्शियम को मेंटेन करना होता है। जब कैल्शियम की कमी हो जाती है तो हार्मोन हड्डियों का चूरा चूसने लगता है। इससे धीरे-धीरे हड्डियां अंदर से खोखली हो जाती हैं। खोखली होने से उनमें फ्रैक्चर होने का खतरा बढ़ जाता है। वहीं हड्डियां कमजोर होने के पीछे मुख्य वजह कैल्शियम की कमी और कैल्शियम की कमी से आस्टियोपोरोसिस होता है।
हड्डियों में कैल्शियम की कमी का पता डैक्सास्कैन से पता चल जाता है। यदि बार-बार हड्डियों में फ्रैक्चर हो तो इसकी एक बार डैक्सा स्कैन से जांच जरूर करवाएं। पुरुषों को 60 साल के बाद और महिलाओं को 45 साल के बाद साल में एक बार हड्डियों की जांच करवानी चाहिए। यदि डायबिटीज और थायराइड है तो आम व्यक्ति के मुकाबले तीन गुना ज्यादा हड्डियों के कमजोर होने के चांस हैं।
इंडोक्राइनोलाजी डिपार्टमेंट के एचओडी प्रो. अनिल भंसाली ने बताया कि डायबिटीज, थायराइड के बाद आस्टियोपोरोसिस तीसरी सबसे बड़ी बीमारी है, जो साइलेंट किलर की तरह है। इस बीमारी को आसानी से रोका जा सकता है। मगर यदि एक बार हो गई तो काफी रुपया खर्च होता है और जान भी जा सकती है। हड्डियों की एक नहीं बल्कि 100 से ज्यादा बीमारी है, लेकिन आस्टियोपोरोसिस से हड्डियां जल्दी टूटती हैं और कई लोगों की मौत भी हो जाती है।
इस बारे में प्रो. अनिल भंसाली ने अपनी एक रिसर्च का ब्योरा भी बताया। इसमें 264 लोगों को शामिल किया गया, जिनकी कूल्हे की हड्डी टूट गई थी। एक साल बाद जब इन मरीजों का फालोअप किया गया तो पता चला कि इसमें से 20 प्रतिशत लोगों की एक साल के भीतर मौत हो गई। मौत का कारण, बिस्तर पर लगातार लेटने से हार्ट से संबंधित बीमारियां, इंफेक्शन, बेड सोर व अन्य बीमारियां रही हैं। करीब 65 प्रतिशत लोगों की जिंदगी दूसरों पर निर्भर हो गई।
प्रो. अनिल भंसाली ने बताया कि इनमें से 80 प्रतिशत लोगों की हड्डियों में फ्रैक्चर घर में गिरने के कारण आया था। उन्होंने कहा कि इस रिसर्च से अंदाजा लगाया जा सकता है कि आस्टियोपोरोसिस कितनी गंभीर बीमारियां हैं। इसलिए हड्डियों की मजबूती के लिए रोजाना कैल्शियम की डाइट जरूरी है। इसके लिए दूध पीएं या फिर दही खाएं। एक भी दिन बिना दूध के नहीं बीतना चाहिए। साथ ही विटामिन डी की भी कमी नहीं होनी चाहिए।
विटामिन डी के लिए सबसे अच्छा स्रोत यह है कि सुबह नौ से तीन बजे तक करीब आधे घंटे तक धूप में बैठे। विटामिन डी की कमी पर डाक्टर से बिना पूछे कोई भी दवा नहीं लेनी चाहिए। अक्सर देखा गया है कि लोग डाक्टर से बिना पूछे दवा ले लेते हैं और उसके काफी नुकसान झेलने पड़ते हैं। जिन्हें दूध पसंद नहीं हैं, वे दही खा सकते हैं। रोजाना एक्सरसाइज करें। बुजुर्ग, सीलिक डिसीज, स्टेराइड व डायबिटीज पेशेंट जरूर चेक करवाएं।
आस्टियोपोरोसिस होने पर गिरने से बचें। प्रेग्नेंसी के दौरान भी कैल्शियम की कमी न होने दें। भीड़ में जाने से बचें। बाथरूम को स्लीपी न बनाएं। ऊबड़-खाबड़ जगह पर न टहलें। बाथरूम में छोटी लाइट के बजाए 100 वॉट का बल्ब लगाएं। अंदर के बजाए बाथरूम के बाहर स्विच लगाएं। बेड से बाथरूम जाने का रास्ता पूरा साफ होना चाहिए। सीढ़ी में रैलिंग जरूर होनी चाहिए। कपड़े ऐसे हों, जो पैर में न फंसे।