30 की उम्र में 60 साल के बुड्ढे बन 500 फिल्मों के बाद ‘अनुपम’ नरे मुकाम किया हासिल

अनुपम खेर एक ऐसे अभिनेता हैं जो अपने किरदार को घोलकर पी जाते हैं। उनके फैंस के लिए बड़ी खुशखबरी ये है कि उन्हें FTII (फिल्म एंड टेलीविजन इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया) का अध्यक्ष चुना गया है। बता दें कि इससे पहले गजेंद्र चौहान अध्यक्ष थे। उन्हें साल 2015 में FTII के अध्यक्ष पद पर नियुक्त किया गया था। अनुपम खेर कार्यभार कब संभालेंगे, इसकी डेट अभी फाइनल नहीं हुई है। 
30 की उम्र में 60 साल के बुड्ढे बन 500 फिल्मों के बाद 'अनुपम' नरे मुकाम किया हासिलअनुपम खेर के अलग-अलग किरदारों को देखकर लगता है कि वो इस पद के लिए पर्फेक्ट हैं। अनुपम अपने अभिनय से हमेशा ही दर्शकों और आलोचकों को मंत्रमुग्‍ध करते आए हैं। लगभग 500 फिल्में और 100 से ज्यादा नाटकों में अभिनय कर चुके अनुपम खेर की खासियत यह है कि वह हर फिल्म में एक अलग किरदार के साथ दिखते हैं।
अनुपम खेर ने अपने एक इंटरव्यू में कहा था, ‘मैं कभी पैसे या बड़े बैनर के पीछे नहीं भागता हूं। अगर मुझे फिल्म अच्छी लगी है और फिल्मकार का बजट कम है तो वह फिल्म मैने फ्री में भी की है।’ हालांकि अनुपम खेर ने उन फिल्मों के नाम नहीं बताए थे। अनुपम खेर ने उन फिल्मों के नाम जरूर बताए थे जो उन्होंने बहुत कम पैसों में की।
अनुपम ने कहा था, ‘मैंने ‘ए वेडनेसडे’ और ‘खोसला का घोसला’ फिल्में बहुत कम पैसों में की। कुछ फिल्में ऐसी भी रहीं हैं ‌जो रिलीज होने के बाद नुकसान में चली गईं तो उनके बनाने वालों से मैंने अपनी तय फीस नहीं ली है।’ अनुपम खेर ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी अपनी पहचान बनाई हैं।

अनुपम खेर अमीर बेटे के बाप का किरदार उसी स्वाभाविकता के साथ निभाते हैं जितना एक गरीब और लाचार बेटी के पिता का। ज्यादातर चरित्र भूमिकाएं निभाने वाले अनुपम, खूबसूरत कॉमेडी भी कर सकते हैं। 1984 में रिलीज हुई चर्चित और सराही गयी फिल्म ‘सारांश’ में अनुपम खेर ने एक 60 साल के बूढ़े व्यक्ति का किरदार निभाया था। 
 

अनुपम खेर की उस समय उम्र 30 साल थी। 60 साल का व्यक्ति किस तरह से सोचता है, कैसे उठता-बैठता है और उसके बोलने का तरीका क्या है अनुपम ने इसे निहायत ही स्वाभाविक तरीके से निभाया था। इस फिल्म के बाद अनुपम अलग-अलग तरह के रोल में दिखते रहे। ‘कर्मा’, ‘तेजाब’, ‘राम लखन’, ‘दिल’, ‘सौदागर’, ‘1942 ए लव स्टोरी’, ‘रूप की रानी चोरों का राजा’ और ‘हम आपके हैं कौन’ जैसी सफल फिल्मों में अनुपम खेर की भूमिका अलग-अलग रही।
 

अनुपम खेर कई बार फिल्म में हीरो की जरूरत को भी भर देते हैं। कलाकार कितना भी बड़ा हो, अनुपम खेर के साथ दृश्यों में वह उनकी बराबरी नहीं कर पाता। अनुपम खेर ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी अपनी पहचान बनाई हैं। ‘बेंड इट लाइक बेकहम’, ‘ब्राइड एंड प्रिज्यूडाइस’, ‘द मिस्ट्रेस ऑफ स्पाइसिज’ और ‘द अदर इंड ऑफ द लाइन’ जैसी विश्व विख्यात फिल्मों में काम कर चुके हैं।
 

सेंसर बोर्ड के अध्यक्ष रह चुके अनुपम खेर शिमला में जन्मे। उन्होंने राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय (एनएसडी) से स्नातक करने के बाद थियेटर से कॅरियर की शुरुआत की। अनुपम खेर को आठ बार अलग-अलग श्रेणियों में फिल्मफेयर पुरस्कार मिल चुका है जिसमें 1984 की फिल्म ‘सारांश’ के लिए मिला सर्वश्रेष्ठ अभिनेता का फिल्मफेयर पुरस्कार भी है।  उन्हें दो बार राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार से भी नवाजा गया है। अनुपम खेर की पत्नी किरण खेर भी एक बेहतरीन अदाकारा हैं।
 

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