इस बार युद्धभ्यास का फोकस है, एंटी सबमरीन ऑपरेशन। यानी कैसे मिलकर दुश्मन की पनडुब्बी को मार गिराया जाए। चेन्नई तट से लेकर बंगाल की खाड़ी तक होने वाली इस एक्सरसाइज में तीनों देशों के 20 जंगी जहाज, दर्जनों फाइटर जेट्स, 2 सबमरीन समेत टोही विमान हिस्सा ले रहे हैं। खास बात यह कि इजरायल के बाद भारत पहला देश है, जहां अमेरिका सैन्य युद्धाभ्यास में न्यूक्लियर सबमरीन लेकर आया है। इस युद्धाभ्यास में सबसे बड़ा एंटी सबमरीन हथियार भी शामिल भी किया जा रहा है।
चीन रख रहा करीबी नजर
मालाबार की वजह से चीन में जबर्दस्त बौखलाहट है। रिपोट्र्स के मुताबिक चीन मालाबार च्वाइंट एक्सरसाइज पर करीबी नजर रख रहा है। उसने सर्विलांस शिप हाईवांगशियांग को इसकी मॉनीटरिंग के लिए तैनात किया है। सोमवार को चीनी अखबार द्वारा छापी गई रिपोर्ट के अनुसार इतने बड़े युद्धाभ्यास के चलते व्यापारिक रिश्ते खतरे में पड़ सकते हैं। साथ ही यह चीन की सुरक्षा के लिए खतरा हो सकता है। हालांकि, चीनी विदेश मंत्रालय ने कहा था कि उसे इस युद्धाभ्यास से कोई आपत्ति नहीं है।
तीनों देशों का ताकतवर जंगी बेड़ा
भारत का सबसे बड़ा विमानवाहक पोत विक्रमादित्य की अगुवाई में 6-7 वॉरशिप्स व एक सबमरीन शामिल हैं। विक्रमादित्य पर मिग-29 के फाइटर जेट्स भी मौजूद हैं। अमेरिका का 1,00,000 टन वजनी विमानवाहक पोत निमित्ज, तीन से चार विध्वसंक और परमाणु पनडुब्बी। यूएसए विमानवाहक पोत एफ -18 फाइटर जेट से लैस होंगे। वहीं जापान का 27 हजार टन वजनी हेलिकॉप्टर करियर इजुमो और जेएस शाजानामी के अलावा और भी कई युद्धपोत लेकर आया है।
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क्या होगा इस च्वाइंट एक्सरसाइज में
हर साल होने वाले मालाबार च्वाइंट एक्सरसाइज का यह 21वां एडिशन है जो समुद्र और तट पर हो रहा है। इस दौरान शिप्स पर ग्रुप ऑपरेशंस, मैरीटाइम पैट्रोलिंग और एंटी सबमरीन वारफेयर भी होगा। इसके अलावा मेडिकल ऑपरेशंस, डैमेज कंट्रोल, एक्सप्लोसिव ऑर्डिनेंस डिस्पोजल और हेलिकॉप्टर ऑपरेशंस भी होंगे। तीनों देशों के बीच ये च्वाइंट एक्सरसाइज 1992 से शुरू हुई थी। तभी से ये बारी-बारी से तीनों देशों में होती है।
अमेरिका से कच्चे तेल की सप्लाई
अभी तक भारत अपनी ऊर्जा जरूरतों के लिए खाड़ी देशों पर निर्भर था। जी-20 और उससे पहले अमेरिका यात्रा के दौरान ट्रंप मोदी मुलाकात में एक नई शुरुआत हुई है। इतिहास में पहली बार भारत ने अमेरिका से कच्चा तेल खरीदना शुरू किया है। सिर्फ भारत ही नहीं उससे पहले चीन, कोरिया जैसे देश अब खाड़ी देशों से अलग हटकर कच्चे तेल की खरीद अमेरिका से कर रहे हैं। भारतीय कंपनी इंडियन ऑयल ने अमेरिका की तेल कंपनी से पहली खेप कच्चे तेल की खरीद को पूरा कर लिया है और इस साल अक्टूबर तक कच्चे तेल से भरे टैंकर भारत के पोर्ट पर पहुंचना शुरू हो जाएंगे।