महाराष्ट्र के स्कूलों में हिंदी को तीसरी भाषा के रूप में लागू करने पर चल रहे विवाद के बीच मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने बड़ा एलान किया था। उन्होंने बताया था कि राज्य सरकार ने इस विषय पर फिलहाल कोई अंतिम फैसला नहीं लिया है और दोनों पुराने सरकारी आदेश (जीआर) रद्द कर दिए गए हैं।
महाराष्ट्र में उद्धव ठाकरे की ओर से त्रिभाषा नीति पर माशेलकर समिति की रिपोर्ट स्वीकार करने के भाजपा के आरोपों पर शिवसेना (यूबीटी) सांसद संजय राउत ने पलटवार किया। उन्होंने कहा कि झूठ बोलना भाजपा की राष्ट्रीय नीति है। ये लोग महाराष्ट्र में इसी नीति के साथ काम कर रहे हैं। अगर उद्धव ठाकरे ने वास्तव में माशेलकर समिति पर एक रिपोर्ट पेश की थी, तो उसे सार्वजनिक किया जाना चाहिए।
उन्होंने आगे कहा कि एक समिति की रिपोर्ट जारी की गई है और कैबिनेट में रखी गई है। क्या इस पर चर्चा नहीं हो सकती? आपने कैबिनेट के साथ जबरदस्ती हिंदी पर चर्चा की। आपने ऐसा इसलिए किया, क्योंकि यह एक राष्ट्रीय नीति है। यदि कोई राष्ट्रीय नीति राज्य के सामने आती है, तो उस पर चर्चा करना बहुत महत्वपूर्ण है। देवेंद्र फडणवीस तीन बार मुख्यमंत्री बन चुके हैं, क्या उन्हें इतना ज्ञान नहीं है?
हिंदी भाषा विवाद पर NCP-SCP विधायक रोहित पवार ने कहा, ‘महाराष्ट्र सरकार द्वारा त्रिभाषा नीति के संबंध में जारी किए गए GR का कई राजनीतिक दलों ने विरोध किया था। मराठी पत्रकार और सामाजिक संगठन भी इसके खिलाफ थे। जब वे सभी इस मामले पर एकजुट हुए, तो इसने सरकार पर दबाव बनाया और आखिरकार राज्य सरकार ने त्रिभाषा नीति पर GR वापस लेने का फैसला किया। हम हिंदी भाषा के खिलाफ नहीं हैं। हालांकि, हम प्राथमिक शिक्षा में हिंदी की अनिवार्य शिक्षा के खिलाफ हैं।
इससे पहले देवेंद्र फडणवीस की सरकार ने साफ कहा था कि महाराष्ट्र के स्कूलों में हिंदी या किसी तीसरी भाषा को लेकर कोई नया नियम लागू नहीं होगा। राज्य सरकार ने विवाद को गंभीरता से लेते हुए एक विशेषज्ञ समिति बनाने का फैसला किया था। जब तक समिति की रिपोर्ट नहीं आती, तब तक पुरानी व्यवस्था ही लागू रहेगी।
क्या है त्रिभाषा नीति विवाद?
हाल ही में महाराष्ट्र सरकार ने आदेश जारी कर कहा था कि पहली से पांचवीं तक मराठी और अंग्रेजी माध्यम स्कूलों में हिंदी को तीसरी भाषा के रूप में पढ़ाया जाएगा। इस पर कई शिक्षाविदों, मराठी भाषा प्रेमियों और भाषा सलाहकार समिति ने आपत्ति जताई थी। उनका तर्क था कि प्राथमिक कक्षाओं में मातृभाषा पर ही ध्यान होना चाहिए, अन्यथा बच्चों की भाषा सीखने की क्षमता कमजोर होगी।
नई समिति क्या करेगी काम?
यह तय करना कि तीसरी भाषा कौन-सी कक्षा से शुरू हो,
भाषा लागू करने का तरीका क्या हो,
और छात्रों को कितने और कौन से विकल्प दिए जाएं।
सलाहकार समिति ने सरकार से की थी मांग
इससे पहले राज्य सरकार की तरफ से नियुक्त भाषा सलाहकार समिति ने मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस से अपील की है कि इस फैसले को तुरंत वापस लिया जाए। पुणे में आयोजित एक बैठक में समिति के 27 में से 20 सदस्य उपस्थित थे। इस बैठक में सर्वसम्मति से प्रस्ताव पारित किया गया कि कक्षा 5 से पहले किसी भी तीसरी भाषा — चाहे वह हिंदी ही क्यों न हो — को पढ़ाना उचित नहीं है। इस बैठक में मराठी भाषा विभाग के सचिव किरण कुलकर्णी भी मौजूद थे।