सड़क, बिजली, पेयजल, सीवरेज, दूरसंचार, स्कूल, अस्पताल समेत राज्य सरकार की हर योजना पर काम करने से पहले अब लोकेशन की सेटेलाइट कुंडली खंगाली जाएगी। विभागों के योजनाकारों के हाथों में उस स्थान की जीआईएस मैपिंग से तैयार तस्वीरें होंगी, जिनकी मदद से वह आसानी यह पता लगा सकेंगे कि जहां वे सीवर लाइन बिछाने जा रहे हैं, वहां पहले से कोई पेयजल लाइन तो नहीं हैं।
डिजिटल मैप से उन्हें योजना वाली जगह पर पहले से तैयार एक-एक योजना की जानकारी होगी। यानी शहरों में सीवर लाइन बिछाने के चक्कर पेयजल लाइन बर्बाद नहीं होंगी।यह संभव होगा पीएम गति शक्ति नेशनल मास्टर प्लान से। अभी तक इस योजना पर राज्य का उद्योग विभाग काम कर रहा था। लेकिन ये केवल औद्योगिक क्षेत्रों तक केंद्रित रहा।
इसका दायरा सभी विभागों तक बढ़ाने के लिए इसकी कमान नियोजन विभाग के हाथों में सौंप दी गई है। सचिव नियोजन आर. मीनाक्षी सुंदरम ने इसकी पुष्टि की है। मुख्य सचिव की अध्यक्षता में पिछले दिनों एक बैठक में सभी विभागों को योजना के डिजिटल प्लेटफार्म पर पुरानी, नई और भविष्य में तैयार होने वाली योजनाओं की जीआईएस मैपिंग कराने के साथ उनके आंकड़े उपलब्ध कराने के निर्देश दिए गए हैं। विभागों के स्तर पर 340 तरह के जीआईएस मैप पोर्टल पर अपलोड हो चुके हैं। ये काम जारी है। सभी विभागों के लिए इसे अनिवार्य किया गया है।
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