हर इंसान को किसी न किसी चीज से डर लगता है। किसी को किसी जानवर से डर लगता है, तो किसी को अंधेरे से डर लगता है। व्यक्ति में आत्मविश्वास का न होना ही डर को पैदा करता है। किसी भी वस्तु/ व्यक्ति से दूरी, डर और अस्थिरता का कारण होता है और कोई भी व्यक्ति अपने घर में ऐसा माहौल नहीं चाहता। जब समाज व राष्ट्र के लोग एक दूसरे पर विश्वास करना छोड़ देते हैं, तो उससे भी डर उत्पन्न होता है।
डर से आप अपने जीवन में कुछ भी नियंत्रित नहीं कर सकते, जीवन में सिर्फ थोड़ा-सा डर होना चाहिए, जिसे आप सकारात्मक रूप में ले सकें। इसमें कोई अजीब बात नहीं है। अगर आप बहादुर हैं और हिम्मत से काम लेते हैं, तो आप भी कम से कम एक बात से डरते हैं, जो आपको आगे बढ़ाती है। मनोवैज्ञानिक डॉ. भावना बर्मी के मुताबिक, डर कोई छिपाने या शर्मिंदा होने वाली चीज नहीं है। हर डर आपके व्यक्तित्व के बारे में कुछ न कुछ बताता है।
सार्वजनिक बोलने से डर- पूर्णता: यदि आप सार्वजनिक रूप से बोलने से डरते हैं, तो इससे यह प्रकट होता है कि आपके अंदर आत्मविश्वास की कमी है, आप अपनी हर चीज के लिए दूसरों की स्वीकृति लेते हैं। आप अपने अधिकांश प्रयासों में असफलता की उम्मीद करते हैं। यही कारण है कि आप सार्वजनिक रूप से बोलने में डर लगता है।
अंधकार से डर- अंधेरे का अर्थ है कि आप देखने में असमर्थ हैं। देखना हमारी पांचों इंद्रियों में सबसे महत्वपूर्ण है। जब आप देख नहीं सकते हैं और आप में नियंत्रण की कमी है, तो यह अंधेरा आपको अप्रत्याशित घटनाओं के प्रति कमजोर बना देता है। हालांकि, आप अंधेरा होने पर भी डरते हैं, तो इसका यह अर्थ भी हो सकता है कि आपके पास एक अति सक्रिय कल्पना है, जिससे आपकी कल्पना के भाव भयावह होकर आपको डराते हैं।
अकेलेपन का डर- बहुत से लोग अकेले होने पर डरते हैं। यह डर उन लोगों में सर्वाधिक देखने को मिलता है, जो या तो अकेले रहते हैं अथवा जिन्हें पर्याप्त रूप से अपने माता-पिता, भाई-बहन और सगे संबंधियों से प्यार नहीं मिलता है। इसके अलावा जिन्हें लोगों द्वारा नकार दिया जाता है। ऐसे लोग एकांतवासी जीवन जीते हैं, जो भविष्य में या तो काफी तरक्की करते हैं अथवा काफी पिछड़ जाते हैं।
भीड़ से डर- यदि आपको भीड़भाड़ भरे स्थान से डर लगता है, तो आप अपने लिए किसी व्यक्तिगत स्थान की तलाश कर सकते है। इसका अर्थ यह नहीं है कि आप उन लोगों में से नहीं हैं, बल्कि इसका अर्थ यह है कि आप जिन पर भरोसा कर सकते हैं, उनसे कुछ दूरी पर रहना चाहते हैं। इससे आप भावनात्मक रूप से उनसे अलग नहीं हो सकते हैं। यदि ऐसा होता है, तो आपको सार्थक संबंध बनाने में मुश्किल हो सकती है।
ऊंचाई से डर- आपको ऊंचाई पर जाने से या उसके बारे में सोचने मात्र से डर लगता है, इसके पीछे की वास्तविक वजह को जानने की कोशिश कीजिए। कुछ लोगों को ऊंचाई पर जाने से इसलिए डर लगता है क्योंकि उनको लगता है कि ऊपर जाने से गिरने का खतरा अधिक रहता है। ऐसी स्थिति से बचने की कोशिश कीजिए और इसके बारे में बिल्कुल न सोचें। इस प्रकार के डर से ग्रसित लोग स्वयं पर नियंत्रण रखने में सक्षम होते हैं। एक अुनमान के मुताबिक, इस दुनिया में पूरी जनसंख्या के लगभग 5 फीसदी लोग ऊंचाई पर जाने से डरते हैं।
संभवतः आप असफलता, परिवर्तन अथवा किसी ऐसी चीज से डरते हैं, जिसको नाम नहीं दे पा रहे हैं। आपको चाहे जो भी भयभीत कर रहा हो, सीखिए कि कैसे आप अपने उस भय को स्वीकार कर सकें, उसका सामना करें और उस पर स्वामित्व पा सकें।