आयुर्वेद में हरी और ताज़ी मेथी के कई गुणों का बखान किया गया है। मधुमेह में इसका प्रयोग बेहद लाभकारी है लेकिन एक शोध में मेथी त्वचा के कैंसर का इलाज करने में कारगर साबित हुई है। छत्रपति शाहू जी महाराज विश्वविद्यालय (सीएसजेएमयू) कानपुर, दि आइआइएस यूनीवर्सिटी जयपुर एवं यूनिवर्सिटी ऑफ राजस्थान के वैज्ञानिकों ने मिलकर मेथी पर शोध किया। इसकी सफलता का परिणाम अंतर्राष्ट्रीय जर्नल टॉक्सीकोलॉजी इंटरनेशनल में प्रकाशित हो चुका है।
शोध के अनुसार सामान्य तौर पर प्रतिरक्षा तंत्र कैंसर कोशिकाओं के खतरे को नहीं पहचानता इस कारण उनकी अनदेखी कर देता है लेकिन मेथी के अर्क का सेवन करने से प्रतिरक्षा तंत्र पहले से अधिक सक्रिय हो जाता है और कैंसर कोशिकाओं को नष्ट करने लगता है।
वैज्ञानिकों के दल के प्रमुख एवं सीएसजेएमयू के कुलपति प्रो. अशोक कुमार बताते हैं कि मेथी खाने से कैंसर से बचाव होता है। कैंसर के इलाज में सबसे बड़ी चुनौती प्रतिरक्षा तंत्र को इस प्रकार सक्रिय करना है कि वह शरीर के बाकी हिस्सों को बिना कोई नुकसान पहुंचाए कैंसर कोशिकाओं को नष्ट करे। त्वचा कैंसर में मेथी का प्रयोग चूहों पर सफल रहा है।
ऐसे हुआ प्रयोग : सीएसजेएमयू के कुलपति बताते हैं कि मेथी का चूहों पर प्रयोग वर्ष 2010 में शुरू हुआ था जो कई परीक्षणों के उपरांत 2012 में पूरा हुआ। दिसंबर में अंतर्राष्ट्रीय जर्नल में शोध के नतीजे प्रकाशित हुए हैं। प्रयोग के दौरान चूहों के दो समूह तैयार किए, एक समूह में केमिकल से त्वचा कैंसर विकसित किया गया तो दूसरे समूह के चूहों को सात दिन तक मेथी पाउडर से तैयार किया गया 800 मिलीग्राम अर्क दिया गया।
जो सामान्य चूहे थे उनमें चार से पांच सप्ताह के भीतर त्वचा का कैंसर हो गया था मगर जिन्होंने मेथी का अर्क पिया था उनमें नौ से दस सप्ताह गुजर जाने के बाद भी त्वचा कैंसर नहीं विकसित हुआ। 16 सप्ताह तक परीक्षण जारी रहा। कुलपति बताते हैं कि मेथी का प्रयोग अगले चरण में पेट, फेफड़े एवं आहार नाल के कैंसर पर किया जाएगा।
चूहों पर प्रयोग करने के बाद इसका प्रयोग मानव पर किया जाएगा फिर मानव के लिए मेथी की सही मात्रा भी घोषित की जाएगी कि कितनी मेथी किस प्रकार खाई जाए कि कैंसर से बचाव हो सके। उनका कहना है कि मेथी वैसे भी बहुत फायदेमंद है। इस शोध के बाद इसका जल्द ही पेटेंट कराने की भी कवायद शुरू है।