आज सावन का तीसरा सोमवार है और आज ही के दिन हरियाली अमावस्या भी है। इतना ही नहीं इस बार हरियाली अमावस्या का महत्त्व सोमवार के दिन आने से और भी काफी बढ़ गया है। इससे पहले साल 2000 में यह संयोग बना था, जब सावन माह के सोमवार के दिन ही हरियाली अमावस्या आई थी। प्रति वर्ष सावन की कृष्ण पक्ष की अमावस्या को हरियाली अमावस्या के रूप में मनाया जाता है।

हरियाली अमावस्या के दिन भक्तों को शिव जी, माता पार्वती, गणेश जी, कार्तिकेय जी एवं नंदी की पूरे विधि-विधान के साथ पूजा करनी चाहिए। पूजा संपन्न होने के बाद भक्तों को पीपल,आम, आंवला, वटवृक्ष एवं नीम में से किसी भी एक पौधे का रोपण करना चाहिए। अतः अब उसके पालन-पोषण का संकल्प लें। नाम से ही यह स्पष्ट होता है कि हरियाली अमावस्या प्रकृति को समर्पित त्यौहार है। अतः आपको ऐसा कर पर्यावरण की रक्षा करनी चाहिए।
जानिए क्या है हरियाली अमावस्या का महत्त्व ?
हरियाली अमावस्या का काफी महत्त्व है। अमावस्या के दिन सुबह जल्दी उठकर शरीर को स्न्नान आदि से स्वच्छ कर लेना चाहिए। इस दिन नदी या फिर किसी सरोवर आदि में स्नान करना शुभ माना जाता है। साथ ही लोग अपने पूर्वजों हेतु इस दिन तर्पण और श्राद्ध का कर्म भी करते हैं। हालांकि फिलहाल कोरोना वायरस के कारण आपको किसी नदी या सरोवर में स्नान करने से खुद को दूर ही रखना चाहिए। कई स्थानों पर प्रशासन ने पहले ही इस महामारी को देखते हुए नदियों में स्नान करने पर पाबंदी भी लगा दी है। इसके स्थान पर आप घर पर ही स्नान आदि करें और दान पुण्य कर तर्पण कार्य कर लें।
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