हमें बताया गया है कि शारीरिक और मानसिक रूप से स्वस्थ रहने के लिए रोजाना 7-8 घंटे की नींद की जरूरत होती है। क्योंकि कम नींद लेने से अगले दिन हमारा दिमाग किसी भी कार्य करने में पूरी तरह सक्षम नहीं होता। साथ ही कम नींद लेने से कई बीमारियों और अकाल मृत्यु का खतरा भी बढ़ जाता है। लेकिन पेंसिल्वेनिया स्टेट यूनिवर्सिटी के प्रध्यापक और नींद विशेषज्ञ डॉ डेनियल गार्टनबर्ग का कहना है कि सिर्फ 8 घंटे की नींद नाकाफी है।
डॉ गार्टनबर्ग कहते हैं कि नींद में हमारा शरीर ना सिर्फ कोशिकाओं की मरम्मत करता है, बल्कि पूरे दिन में ग्रहण की गई सूचनाओं का अध्ययन करके जरूरी सूचनाओं का संग्रह करता है और गैरजरूरी सूचनाओं को हटाता है। इस प्रक्रिया को सिनैप्टिक होमियोस्टेसिस कहते हैं।
हर दिन कितनी सूचनाओं को ग्रहण करते हैं…
डॉ गार्टनबर्ग के अनुसार हम सोशल मीडिया और स्मार्टफोन की वजह से हम रोजाना करीब 34 जीबी सूचनाओं को ग्रहण करते हैं, जो कि सन् 1940 की अपेक्षा बहुत ज्यादा है। लेकिन इन्हें संग्रहित करने के लिए शरीर को सिर्फ 7-8 घंटे की नींद देना कम है।
उन्होंने आगे बताया कि हम रोजाना जितना समय सोते हैं, उसका 90 प्रतिशत समय ही दिमाग को आराम मिल पाता है। क्योंकि आपके आसपास हुई छोटी सी ध्वनि दिमाग को जगा देती है और हमें पता नहीं लगता। हमें नींद की मात्रा से ज्यादा उसकी गुणवत्ता पर ध्यान देना चाहिए। साथ ही हमारे द्वारा ली गई नींद की मात्रा का कुछ हिस्सा सोने और जागने की कोशिश करने में निकल जाता है।
शोध कैसे किया गया…
डॉ गार्टनबर्ग ने अपनी प्रयोगशाला में लोगों के सोने के दौरान 70 डेसिबल पर कुछ ध्वनियों को चलाया। जिसके बाद देखा गया कि लोगों को दिमाग तो जागा लेकिन फिर तुरंत ही वे दोबारा सो भी गए। लेकिन इससे उनकी नींद की गुणवत्ता प्रभावित हुई। नींद विशेषज्ञ का कहना है कि इस समस्या के लिए हमारे स्मार्टफोन और सोशल मीडिया जिम्मेदार हैं, जिनसे निकलने वाली ध्वनियां हमारी नींद में बाधा डालते हैं।
कितने घंटे की नींद लेनी चाहिए…
शोध में निष्कर्ष निकला कि इतनी ज्यादा सूचनाओं से जरूरी सूचनाओं की छंटनी करने के लिए हमें प्रतिदिन करीब 8.5 घंटे की नींद की जरूरत है। साथ ही हम ‘सॉनिक स्लीप’ नामक ऐप का इस्तेमाल कर सकते हैं, जो कि एक ‘पिंक नोइस’ जारी करके हमारे आसपास की दूसरी ध्वनियों को हम तक नहीं पहुंचने देता और हमें पर्याप्त नींद मिल पाती है।