सामने आया सेना का शर्मिंदगी भरा सच, मां की लाश कंधे पर लाद गांव जाने को मजबूर सैनिक

नई दिल्ली। कश्‍मीर में सेना के सैनिकों को लेकर नया ‘सच’ सामने आया है। इस बार सेना के सैनिक ने खाने या छुट्टी के लिये नहीं, बल्कि अपनी मां के लिए सेना में मिलने वाली सहूलियतों का सच देश के सामने रखा है।

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सामने आया सेना का शर्मिंदगी भरा सच, मां की लाश कंधे पर लाद गांव जाने को मजबूर सैनिक

बीते कई दिनों से कश्‍मीर में हिमस्‍खलन के चलते हालात बदतर बने हुए हैं। गुरुवार को कश्‍मीर के एक सैनिक ने अपनी मां की लाश को कंधे पर लादकर गांव की तरफ बढ़ना शुरू किया है।

एक न्यूज चैनल की खबर के अनुसार, कुछ रिश्‍तेदार भी सैनिक के साथ थे, जो एलओसी के नजदीक ही स्थित गांव जा रहे हैं। हालांकि अपने घर पहुंचकर मां को वहां दफनाने के लिए, मोहम्‍मद अब्‍बास नाम के इस सैनिक को उस रास्‍ते से गुजरना होगा जहां पिछले कुछ दिनों से भारी बर्फबारी हो रही है।

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25 साल के अब्‍बास पठानकोट में तैनात हैं। उनकी मां, सकीना बेगम उनके साथ ही रहती थीं, जिनका पांच दिन पहले इंतकाल हो गया था। जवान का कहना है कि उनकी लाश के साथ कश्‍मीर लौटने पर, उससे वायदा किया गया था कि स्‍थानीय प्रशासन द्वारा हेलिकॉप्‍टर का बंदोबस्‍त किया जाएगा।

अब इस हालात में करीब 50 किलोमीटर की दूरी तय करने में करीब 10 घंटों का समय लगेगा। जिस रास्ते से सेना के सैनिक ने अपनी मां को ले जाने ठानी है, वह करीब 6 फीट की बर्फ में घिरा हुआ है। इससे थोड़ी ही दूरी पर हिमस्‍खलन के चलते बीते दिनों में करीब 20 सैनिकों की जान जा चुकी है।

अब्‍बास ने बताया, “यह बेहद शर्मिंदगी भरा है। मैं अपनी मां को ढंग से दफन भी नहीं कर पा रहा हूं। प्रशासन हमें लाश के साथ इंतजार कराता रहा लेकिन हेलिकॉप्‍टर नहीं भेजा। यह एक खतरनाक ट्रेक है। हम मेरी मां की लाश के साथ बर्फ से जूझ रहे हैं। हम जिस रास्‍ते से गुजर रहे हैं, वहां हिमस्‍खलन का खतरा ज्‍यादा है।”

कुपवाड़ा जिले के अधिकारियों का कहना है कि उन्‍होंने गुरुवार को हेलिकॉप्‍टर का इंतजाम किया था। एक अधिकारी ने कहा, “हमने एक चॉपर का इंतजाम किया था, लेकिन परिवार ने सुविधा लेने से इनकार कर दिया कि उन्‍हें मौसम की समझ नहीं है और पता नहीं कि हेलिकॉप्‍टर उड़ान भर पाएगा या नहीं।”

हालांकि जवान ने सरकार के दावों से इनकार कर दिया। अब्‍बास ने कहा, ”हम चार दिन तक सरकार की मदद का इंतजार किया। इस सुबह, कुपवाड़ा में अधिकारियों ने हमारा फोन तक उठाना बंद कर दिया।

कश्‍मीर घाटी के कुछ हिस्‍सों में बिजली और संचार लाइनें बहाल कर दी गई हैं, मगर ज्‍यादातर जगहों पर अभी भी समस्‍या बनी हुई है।

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