सरदार पटेल के योगदान के कारण आज भारत एकजुट है: पीएम मोदी

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दुनिया की सबसे ऊंची प्रतिमा ‘स्टैच्यू ऑफ यूनिटी’ का अनावरण किया। यह देश के पहले गृहमंत्री सरदार वल्लभभाई पटेल के सम्मान में तैयार 182 मीटर ऊंची प्रतिमा है। इसकी ऊंचाई स्टैच्यू ऑफ लिबर्टी से दोगुनी है। इसके निर्माण में 70,000 टन सीमेंट, 18,500 टन मजबूत लोहा, 6,000 टन स्टील और 1,700 मीट्रिक टन कांसे का प्रयोग किया गया है।

आज देश के लिए सोचने वाले युवाओं की शक्ति हमारे पास है। देश के विकास के लिए, यही एक रास्ता है, जिसको लेकर हमें आगे बढ़ना है। देश की एकता, अखंडता और सार्वभौमिकता को बनाए रखना, एक ऐसा दायित्व है, जो सरदार साहब हमें देकर गए हैं। 

यह प्रतिमा उन किसानों के स्वाभिमान का प्रतीक है, जिनकी खेती की मिट्टी से और खेत के औजारों से इसकी मजबूत नींव बनी। यह उन आदिवासी भाई-बहनों के योगदान का स्मारक है, जिन्होंने आजादी के आंदोलन से लेकर देश की विकास यात्रा में अपना बहुमूल्य योगदान दिया है। 

कई बार तो मैं हैरान रह जाता हूं, जब देश में ही कुछ लोग हमारी इस मुहिम को राजनीति से जोड़कर देखते हैं। सरदार पटेल जैसे महापुरुषों, देश के सपूतों की प्रशंसा करने के लिए भी हमारी आलोचना होने लगती है। ऐसा अनुभव कराया जाता है मानो हमने बहुत बड़ा अपराध कर दिया है। 

देश के लोकतंत्र से सामान्य जन को जोड़ने के लिए वो हमेशा समर्पित रहे। महिलाओं को भारत की राजनीति में सक्रिय योगदान का अधिकार देने के पीछे भी सरदार पटेल का बहुत बड़ा रोल रहा है। 

यह मूर्ति सरदार वल्लभभाई पटेल के धैर्य और दृढ़ संकल्प को लोगों को याद दिलाना जारी रखेगी। 

कच्छ से कोहिमा तक, करगिल से कन्याकुमारी तक आज अगर बेरोकटोक हम जा पा रहे हैं तो ये सरदार साहब की वजह से, उनके संकल्प से ही संभव हो पाया है। 

जिस कमजोरी पर दुनिया हमें उस समय ताने दे रही थी, उसी को ताकत बनाते हुए सरदार पटेल ने देश को रास्ता दिखाया। उसी रास्ते पर चलते हुए संशय में घिरा वो भारत आज दुनिया से अपनी शर्तों पर संवाद कर रहा है, दुनिया की बड़ी आर्थिक और सामरिक शक्ति बनने की तरफ आगे बढ़ रहा है। 

सरदार साहब ने संकल्प न लिया होता, तो आज गीर के शेर को देखने के लिए, सोमनाथ में पूजा करने के लिए और हैदराबाद चार मीनार को देखने के लिए हमें वीजा लेना पड़ता। सरदार साहब का संकल्प न होता, तो कश्मीर से कन्याकुमारी तक की सीधी ट्रेन की कल्पना भी नहीं की जा सकती थी।  

सरदार पटेल में कौटिल्य की कूटनीति और शिवाजी के शौर्य का समावेश था।  

सरदार साहब के आह्वान पर देश के सैकड़ों रजवाड़ों ने त्याग की मिसाल कायम की थी। हमें इस त्याग को भी कभी नहीं भूलना चाहिए। 

आज भारत के वर्तमान ने अपने इतिहास के एक स्वर्णिम पृष्ठ को उजागर करने का काम किया है। 

दुनिया की यह सबसे ऊंची प्रतिमा पूरी दुनिया को सरदार साहब के साहस, सामर्थ्य और संकल्प की याद दिलाती रहेगी। सरदार साहब ने मां भारती को खंड-खंड टुकड़ों में करने की साजिश को नाकाम कर दिया था ऐसे लौहपुरुष को मैं शत शत नमन करता हूं। 

 ‘स्टैच्यू ऑफ यूनिटी’ हमारे इंजीनियरिंग और तकनीकी सामर्थ्य का भी प्रतीक है। बीते करीब साढ़े तीन वर्षों में हर रोज कामगारों ने, शिल्पकारों ने मिशन मोड पर काम किया है। राम सुतार जी की अगुवाई में देश के अद्भुत शिल्पकारों की टीम ने कला के इस गौरवशाली स्मारक को पूरा किया है।   

ये प्रतिमा, सरदार पटेल के उसी प्रण, प्रतिभा, पुरुषार्थ और परमार्थ की भावना का प्रकटीकरण है। ये प्रतिमा भारत के अस्तित्व पर सवाल उठाने वालों को ये याद दिलाने के लिए है कि ये राष्ट्र शाश्वत था, शाश्वत है और शाश्वत रहेगा।   

सरदार पटेल ने 5 जुलाई, 1947 को रियासतों को संबोधित करते हुए कहा था कि- ‘विदेशी आक्रांताओं के सामने हमारे आपसी झगड़े, आपसी दुश्मनी, वैर का भाव, हमारी हार की बड़ी वजह थी। अब हमें इस गलती को नहीं दोहराना है और न ही दोबारा किसी का गुलाम होना है।’

सरदार साहब का सामर्थ्य तब भारत के काम आया था, जब मां भारती साढ़े पांच सौ से ज्यादा रियासतों में बंटी थी। दुनिया में भारत के भविष्य के प्रति घोर निराशा थी। निराशावादियों को लगता था कि भारत अपनी विविधताओं की वजह से ही बिखर जाएगा। 

सरदार पटेल के योगदान के कारण आज भारत एकजुट है। 

दुनिया की ये सबसे उंची प्रतिमा पूरी दुनिया और हमारी भावी पीढ़ियों को सरदार साहब के साहस, सामर्थ्य और संकल्प की याद दिलाती रहेगी।  

गुजरात के लोगों ने मुझे जो अभिनंदन पात्र दिया है, उसके लिए मैं गुजरात के लोगों का बहुत बहुत आभारी हूं। आज मैं आपके यह सम्मान पत्र में आशीर्वाद की अनुभूति कर रहा हूं।

यह मेरा सौभाग्य है कि मुझे सरदार साहब की इस विश्व की सबसे ऊंची प्रतिमा का लोकार्पण करने का मौका मिला है। 

आज जब धरती से लेकर आसमान तक सरदार साहब का अभिषेक हो रहा है, तब भारत ने न सिर्फ अपने लिए एक नया इतिहास रचा है, बल्कि भविष्य के लिए प्रेरणा का गगनचुंबी आधार भी रखा है। 

आज के दिन को भारत के इतिहास में याद किया जाएगा। इस दिन को कोई भी भारतीय कभी नहीं भूल पाएगा। 

आज का यह दिवस भारत के इतिहास के महत्वपूर्ण दिनों में से एक है। भारत के सम्मान के लिए समर्पित एक विराट व्यक्तित्व का उचित स्थान देने का और अपने इतिहास को उजागर करने का काम भारत के वर्तमान ने किया है।  

नर्मदा के तट पर आज हम सभी खुश हैं। भारत भर में कई लोग ‘एकता के लिए दौड़’ (रन फॉर यूनिटी) में भाग ले रहे हैं।  

पूरा देश सरदार पटेल की जयंती पर राष्ट्रीय एकता दिवस मना रहा है। 

Powered by themekiller.com anime4online.com animextoon.com apk4phone.com tengag.com moviekillers.com