समाजवादी पार्टी में कब्जे की लड़ाई के बीच लखनऊ ऑफिस में नया नेमप्लेट लग गया है. इसमें मुलायम सिंह के नाम पर रंगरोगन कर अखिलेश यादव ‘राष्ट्रीय अध्यक्ष’ का नया प्लेट लगाया गया है. गौरतलब है कि अखिलेश गुट और पिता मुलायम के समर्थकों के बीच पार्टी और सिंबल पर कब्जे का मामला चुनाव आयोग में लंबित है.
दोनों ही गुटों ने पार्टी पर अपने नियंत्रण का दावा किया है. अखिलेश गुट का दावा है कि उनके पक्ष में दो-तिहाई बहुमत है. जबकि मुलायम गुट का दावा है कि अध्यक्ष अभी नेताजी ही हैं. पार्टी में बढ़े तनाव के बीच 1 जनवरी को अखिलेश गुट ने राष्ट्रीय अधिवेशन बुलाकर अखिलेश यादव को राष्ट्रीय अध्यक्ष घोषित कर दिया था. जिसे अवैध बताते हुए मुलायम गुट चुनाव आयोग चला गया था.
इस बीच, सोमवार को मुलायम सिंह अपने बेटे अखिलेश पर जनकर बरसे. मुलायम सोमवार की सुबह पार्टी कार्यकर्ताओं से मिले. कुछ कार्यकर्ता रोते हुए बोले- नेताजी पार्टी बचा लीजिए. इस पर मुलायम ने कहा- मैंने बहुत कोशिश की, अखिलेश मेरी नहीं सुनते.
कार्यकर्ताओं ने किया मुलायम का विरोध
मुलायम के पार्टी दफ्तर से बाहर निकलते ही मुलायम सिंह का विरोध शुरू हो गया और कार्यकर्ता उन्हें कोसने लगे, कई कार्यकर्ता रोने लगे और रोते-रोते पार्टी और सिंबल बचाने की अपील भी की. मुलायम ने जैसे ही कहा कि मैंने अपनी ओर से कई कोशिश की और अखिलेश सुनने तक को तैयार नहीं है, अब चुनाव आयोग में हम दोनों आमने-सामने हैं हमें कोई भी फैसला मंजूर होगा, आप से अपील है कि आप हमारा साथ दें. इस पर कई कार्यकर्ता रोने लगे और मुलायम सिंह का विरोध तक कर डाला. मुलायम का ये बोलना था कि कार्यकर्ता खड़े होकर अखिलेश को आशीर्वाद देने की अपील करने लगे लेकिन मुलायम सिंह ने उन्हें चुप कराकर बैठा दिया, कई कार्यकर्ता जो बीच-बीच में बोलते रहे.
शुरुआत दिन के 12 बजे हुई जब गहमागहमी के बीच दिन के करीब 12 बजे मुलायम अपने 5 विक्रमादित्य मार्ग से निकले और पार्टी दफ्तर का रूख किया लेकिन दफ्तर में घुसते-घुसते ठिठक गए और गाड़ी मोड़कर शिवपाल के घर जा पंहुचे, करीब 5 मिनट की मीटिंग के बाद मुलायम फिर लाव-लश्कर के साथ पार्टी ऑफिस में घुसे ,जहा सीधे सभागार का रुख किया जहां पहले से ही सैकड़ों समर्थक बैठे थे. वहां मौजूद कार्यकर्ताओं को लगा कि मुलायम शायद कुछ बड़ा ऐलान करेंगे लेकिन मुलायम ने बता दिया कि वो नहीं झुकेंगे.
मुलायम सिंह यादव ने पार्टी कार्यकर्ताओं से कहा कि पार्टी से बड़े-बड़े नेताओं को बाहर कर दिया है, बलराम यादव को बर्खास्त कर दिया क्या ग़लती थी बलराम की, मैंने बलराम को जबर्दस्ती मंत्री बनवाया था. मुलायम ने कहा कि ओमप्रकाश और नारद राय को निकाल दिया. अंबिका चौधरी को निकाल दिया, इतने बड़े नेताओं को निकाल दिया क्या ग़लती थी इन सबकी, महिला मंत्री को भी हटा दिया.
मुलायम ने कहा कि अब चुनाव आयोग में चार बजे तक होगा फ़ैसला कोर्ट तक जायेगा मामला अखिलेश को कई बार मिलने बुलाया लेकिन वह कुछ सुनने को तैयार नहीं, अखिलेश ने जो किया है उससे मैसेज मुसलमान विरोधी गया है. अखिलेश यादव को सुबह से बुलाया था लेकिन नहीं आया. उन्होंने कहा कि सुबह भी फ़ोन किया था उसको मैं जो भी बात करता हूं उसको रामगोपाल को बता देता है कि हमारी सरकार बनेगी तो अल्पसंख्यक के लिए काम करूंगा उसने बुरा मानने वाली नहीं है.
उन्होंने कहा कि डीजीपी जो है वो हमारी सुनता है, अखिलेश उसको नहीं बनाना चाहता था यही DGP है जिसने CBI में हमारे ख़िलाफ़ लिख कर दिया था लेकिन हमने उसको माफ़ कर दिया था. अखिलेश हमारा बेटा है लेकिन हमको नहीं मालूम था कि वो विरोधियों से मिल जाएगा, अखिलेश राम गोपाल के कहने पात काम करता है. उनके कहने पर ही हमको फ़ोन करता है अब सिंबल ना हमारे हाथ में है ना अखिलेश के हाथ में है.
आप लोग हमारा साथ दें
चुनाव आयोग सोमवार को ही फ़ैसला करेगा, जो भी फ़ैसला आए हम चाहते हैं कि आप लोग हमारा साथ दें. अब अखिलेश हमारी नहीं सुनता है हमनें चुनाव चिन्ह को लेकर अपनी दावेदारी अपने वकीलों के साथ चुनाव आयोग में रख दिया है. उन लोगों ने भी अपनी बात रखी है लेकिन पार्टी हमने बनाया है, पार्टी का राष्ट्रीय अध्यक्ष मैं हूं तो चुनाव चिन्ह हम ही को मिलेगा.
मुलायम ने कहा कि एक बार फ़िर आप लोगों से अपने साथ आने का अपील कर रहा हूं, हमने अल्पसंख्यकों के लिए काम किया है. अयोध्या मामले में हमने इनका पक्ष रखा था, अब अखिलेश को सोचना पड़ेगा की अपने पिता का साथ दे या रामगोपाल का, रामगोपाल विरोधियों के कहने पर चल रहा है. मुलायम ने कहा कि हम लोग फ़िर बहुमत की सरकार बनाएंगे और अल्पसंख्यकों का पूरा ध्यान रखा जाएगा.