प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के स्वच्छता अभियान को हर व्यक्ति सफल बनाना चाहता है. मध्य प्रदेश के राजगढ़ जिले में प्रशासन ने तय कर लिया है कि बंदूक का लाइसेंस देने की प्रक्रिया में उसी व्यक्ति को शामिल किया जाएगा, जिसके घर में शौचालय होगा.
हर साल आते हैं 700 से ज्यादा आवेदन
राज्य के कई इलाके ऐसे हैं, जहां बंदूक का होना प्रतिष्ठा का विषय है. लिहाजा लोग हर हाल में बंदूक का लाइसेंस चाहते हैं. बात राजगढ़ की ही करें, तो यहां भी एक वर्ग बंदूक रखने को अपना रसूख मानता है. यहां हर साल 700 से ज्यादा आवेदन बंदूक के लाइसेंस के लिए आते हैं. वर्तमान में यहां साढ़े सात हजार से ज्यादा बंदूकधारी लाइसेंस वाले हैं.
शौचालय प्रमाण पत्र का होगा सत्यापन
प्रशासन ने तय किया है कि आवेदन के साथ घर में शौचालय होने का प्रमाण देना होगा. उसके बाद इस बात का सत्यापन कराया जाएगा कि संबंधित व्यक्ति के घर में शौचालय है या नहीं. इसी के बाद ही बंदूक का लाइसेंस बनाने की प्रक्रिया शुरू की जाएगी.
लोगों को शौचालय बनवाने के लिए करेंगे प्रेरित
डीएम तरुण पिथोड़े ने बताया, ‘जो लोग 50 हजार रुपये की बंदूक खरीद सकते हैं, वे क्या कुछ हजार रुपये शौचालय के निर्माण पर खर्च नहीं कर सकते. लिहाजा इसी बात को ध्यान में रखकर तय किया गया है कि जो भी व्यक्ति बंदूक के लाइसेंस का आवेदन देगा, उससे यह जरूर पता किया जाएगा कि उसके घर में शौचालय है या नहीं. अगर उसके घर शौचालय नहीं है, तो उसे शौचालय बनवाने के लिए प्रेरित किया जाएगा.’
संपन्न परिवारों के घरों में भी नहीं हैं शौचालय
गौरतलब है कि राज्य में गांवों को खुले में शौच से मुक्त करने के लिए तरह-तरह के प्रयोग किए जा रहे हैं. कई मामले ऐसे सामने आते हैं, जहां आर्थिक तौर पर संपन्न परिवारों के घरों में भी शौचालय नहीं है. बीते दिनों सीहोर जिले में तो एक ऐसा मामला सामने आया, जहां एक किसान अपनी बहू को लेने हेलीकॉप्टर से जा रहा था, लेकिन उसके भी घर में शौचालय नहीं था. बाद में प्रशासन की पहल पर उस किसान ने अपने घर में शौचालय बनवाया.