प्रख्यात सूफी गायक कैलाश खेर रविवार की दोपहर शहीद विजय के गांव छपिया जयदेव पहुंचे। उन्होंने शहीद के पिता, पत्नी व परिवार वालों से मिलकर बात की। पत्नी विजयलक्ष्मी को ढाढ़स बंधाते हुए बच्ची को अच्छी परवरिश देने की सीख दी। वे बोले ‘गई- गई को जान दे, रई-रई को थाम’। श्री खेर ने विजयलक्ष्मी को पांच लाख व शहीद के पिता रमायन को पांच लाख को चेक दिया।

गौरतलब है कि सूफी गायक कैलाश खेर शनिवार को देवरिया महोत्सव में भाग लेने के लिए आए थे। उन्हें शनिवार को ही शहीद के गांव जाना था, लेकिन वहां की स्थिति देख नहीं गए। उन्होंने महोत्सव में अपना कार्यक्रम भी स्थगित कर दिया। शनिवार की रात को यहीं रूके श्री खेर रविवार को दिन में 2.20 बजे शहीद के घर पहुंचे। शहीद के चित्र पर पुष्प अर्पित करने के बाद वे सीधे कमरे में एक पास बैठे शहीद के पिता, पत्नी व घर वालों के पास गए। उनके बीच में बैठकर उन्होंने परिवारों को ढाढ़स बंधाया। श्री खेर विजयलक्ष्मी से बात करते हुए कहा कि अब आप के ऊपर बहुत बड़ी जिम्मेदारी है विजयलक्ष्मी। आप का नाम ही विजयलक्ष्मी है।
और पैसा तो देखिए आनी- जानी है, लेकिन आपने जो कमा लिया, उसका तो कोई मोल ही नहीं है। बस इसकों अब गई- गई को जान दे, रई- रई को थाम। बच्चे को बहुत अच्छी तरह से पोषित करना। इसको संस्कार भी देना है। अच्छी एजुकेशन देना है। बाकी तो आप देखना बहुत अच्छा होगा ही।
इसके बाद उन्होंने पत्नी विजयलक्ष्मी व पिता रमायन मौर्य को पांच- पांच लाख चेक दिया। करीब बीस मिनट रूकने बाद उन्होंने पिता- पत्नी व घर वालों को प्रणाम व नमन किया, फिर देवरिया के लिए रवाना हो गए।
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