वैज्ञानिक बताते हैं क्यों रखते थे पुराने लोग चोटी, आप भी जानें इसके महत्व
वैज्ञानिक बताते हैं क्यों रखते थे पुराने लोग चोटी, आप भी जानें इसके महत्व

वैज्ञानिक बताते हैं क्यों रखते थे पुराने लोग चोटी, आप भी जानें इसके महत्व

अक्सर आपनें परानिक कहानियों के पात्र को सर पर चोटी रखते हुए देखा होगा। आज के समय में भी कई लोग अपने सर पर चोटी रखे हुए दिख जाते हैं। प्राचीन काल में योगी पुरुष लोग शिखा या चोटी रखते। आज के समय में ब्राहमण वर्ग के लोग अक्सर शिखा रखये हुए दिख जाते हैं। प्राचीनकाल में यह बहुत ही जरुरी था कि पुरुष वर्ग के लोग सर पर चोटी जरुर रखें। यहाँ तक की उस समय आर्य लोगों की यह पहचान बन चुका था।

वैज्ञानिक बताते हैं क्यों रखते थे पुराने लोग चोटी, आप भी जानें इसके महत्व

पूर्वजों के लिए क्यों जरुरी था चोटी रखना

लेकिन क्या आप जानते हैं कि यह एक परम्परा या मान्यता ही नहीं है बल्कि इसे वैज्ञानिक तौर पर भी माना गया है। आज हम आपको बताएँगे कि सर पर चोटी रखनें का क्या महत्व होता है। धार्मिक महत्व से तो आप परिचित होंगे ही, आज चोटी रखनें के वैज्ञानिक महत्व से भी परिचित हो जाइये। हमारे पूर्वजों के लिए क्यों इतना जरुरी था कि वह अपने सर पर चोटी रखें ही। आइये जानते हैं इसके वैज्ञानिक कारण।

सर पर चोटी रखनें के वैज्ञानिक कारण:

*- सर पर चोटी रखनें का सबसे महत्वपूर्ण कारण यह है कि इसके ठीक निचे सुषुम्ना नाढ़ी होती है जो कपाल तंत्र के अन्य खुली जगहों की अपेक्षा ज्यादा संवेदनशील होती है। इस जगह के खुले होनें की वजह से वातावरण से ऊष्मा और अन्य ब्रह्मांडीय चुम्कीय तरंगे आसानी से मस्तिष्क से आसानी से आदान-प्रदान कर सकती हैं। इस तरह की गतिविधियों से मस्तिष्क का ताप बढ़ जाता है।

*- वैज्ञानिक दृष्टिकोण से मस्तिष्क का ताप नियंत्रित होना चाहिए, इसलिए यह जगह ढँककर रखी जाती है। सर पर चोटी रखकर आसानी से ताप को नियंत्रित किया जा सकता है। इसलिए प्राचीनकाल से ही सर पर चोटी रखनें की परम्परा है।

*- शरीर के पाँच चक्र होते हैं, जिनमें से एक सहस्त्रार चक्र जो ठीक सर के बीचो-बीच में स्थित होता है। इस जगह पर चोटी या शिखा रखनें से चक्र जाग्रत होता है। इससे व्यक्ति की बुद्धि और मन भी नियंत्रित रहता है।

*- बहुत कम ही लोग इस बात को जानते हैं कि जिस जगह पर चोटी रखी जाती है वह स्थान बौद्धिक क्षमता, बुद्धिमत्ता और साथ ही शरीर के विभिन्न अंगों को नियंत्रित भी करता है। शिखा रखना धर्म का परिचायक तो है ही साथ ही इससे मस्तिष्क की कार्यप्रणाली भी सही रहती है।

*- जो व्यक्ति अपने सर पर शिखा रखता है वह योगासनों को सही तरीके से कर पाता हैप्राणायाम और अष्टांगयोग इनमें से प्रमुख प्राणायाम है। इन्हें करनें से आपके आँखों की रोशनी अच्छी रहती है और साथ ही वह सक्रिय रहती है।

*- शिखा का दबाव सर पर होनें से रक्त का प्रवाह सही रहता है। इससे आपके मस्तिष्क को सीधे तौर पर लाभ पहुँचता है।

*- आजकल की आधुनिकता की वजह से जो जिन परिवारों में चोटी रखनें की परम्परा थी वो आज छोटी चोटी रखनें लगे हैं। जबकि शास्त्रों में वर्णित है कि सर पर चोटी गाय के खुर के बराबर होनी चाहिए।

*- जो लोग चोटी रखनें को धर्मान्धता मानते हैं, उन्हें समझनें की जरुरत है कि यह पूरी तरह से वैज्ञानिक है।

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