नई दिल्ली: उत्तर प्रदेश में एक बार फिर से मैगी के सैंपल लैब टेस्ट में फेल हुए हैं, जिसके बाद शाहजहांपुर के जिला प्रशासन ने मैगी बनाने वाली कंपनी नेस्ले पर 45 लाख रुपए का जुर्माना, जबकि इसके तीन वितरकों पर 15 लाख रुपए और इसके दो विक्रेताओं पर 11 लाख रुपए का जुर्माना लगाया है.
नेस्ले ने दी सफाई
मैगी बनाने वाली कंपनी नेस्ले ने इस मामले का बचाव करते हुए कहा है कि उन्हें किसी तरह का ऑर्डर नहीं मिला है, लेकिन उनको सूचना है कि जो सैंपल लिए गए हैं वह साल 2015 के हैं, नेस्ले ने कहा है कि ऑर्डर मिलने के बाद वह इस मामले में अपील दाखिल करेंगे. नेस्ले ने एक बार फिर से दोहराया है कि खाने के लिए मैगी 100 फीसदी सुरक्षित है.
जिले के अधिकारियों के मुताबिक, प्रशासन ने पिछले साल नवंबर में नमूने इकट्ठा किए थे और उन्हें लैब जांच के लिए भेज दिया था. जांच में पाया गया कि मैगी के उन नमूनों में इंसान की खपत के लिए तय सीमा से अधिक मात्रा में राख थी. लैब जांच के नतीजों पर सवाल उठाते हुए नेस्ले इंडिया ने कहा कि उसे अब तक आदेश प्राप्त नहीं हुआ है और वह आदेश मिलते ही अपील दायर करेगी.
2015 में शुरू हुआ था मैगी को लेकर विवाद
मैगी को लेकर विवाद सबसे पहले 2015 में ही छिड़ा था, जून 2015 में FSSAI ने मैगी पर रोक लगा दी थी. उस समय मैगी को लेकर रिपोर्ट आई थी कि इसमें लेड की मात्रा तय पैमाने से ज्यादा पायी गई है और यह खाने के लिए हानिकारक है. इसके बाद नेस्ले ने मैगी को लेकर लंबी कानूनी लड़ाई लड़ी और नवंबर 2015 में मैगी ने फिर से भारतीय बाजार में लॉन्च हो गई.