लेखकों ने ट्रंप पर साधा निशाना, कहा- खतरनाक हाथों में हैं परमाणु हथियार

donald-trump_1470138057जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल (जेएलएफ) में तीसरे दिन शनिवार को अमेरिका के राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप लेखकों के निशाने पर रहे उन्हें अस्थिर दिमाग का व्यक्ति कहा गया। लेखकों ने यहां तक कहा कि ट्रंप दुनिया के लिए खतरा हैं और दुनिया में अब शांति रहेगी, इसमें शक है। उनके हाथ में अब परमाणु हथियारों का बटन आ गया है। अब अमेरिका की नीतियों में दुनियां को लेकर काफी बड़े परिवर्तन नजर आएंगे।
 
जेएलएफ में पहली बार किसी बुकर प्राइज विजेता ने हिस्सा लिया। बुकर प्राइज विजेता पॉल बीटी ने कहा कि वह अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप को लेकर कतई आशावादी नहीं हैं। ट्रंप अमेरिका के लिए ही नहीं पूरी दुनिया के लिए खतरा हैं। जब ट्रंप कहते हैं कि अमेरिका में रहने वाले अब सुरक्षित हैं, तो लगता है जैसे अब पूरी दुनिया असुरक्षित है। ये बड़े खतरे की ओर इशारा लगता है। 

हावर्ड विश्वविद्यालय के प्रोफेसर व लेखक डेविड आर्मिटाज ने कहा कि ट्रंप के आने के बाद अब दुनिया की शांति पर ही शक होने लगा है। ट्रंप एक अस्थिर दिमाग के व्यक्ति हैं और  पूरी दुनिया में अभी देशों के बीच शांति का माहौल है, लेकिन अब यह ज्यादा दिन नहीं रहेगा। अमेरिका में बसी भारतीय राइटर चित्रा बनर्जी ने भी ट्रंप की आलोचना की।

90 फीसदी कवि हैं ही नहीं, मेरी साहित्यिक हत्या का प्रयास हुआ

महासमर के लेखक नरेंद्र कोहली ने कहा कि हिंदी के 90 फीसदी कवि वास्तव में कवि हैं ही नहीं। उन्हें लय, छंद, संगीत का ज्ञान तक नहीं है। उन्होंने कहा कि मुझे भी इनका ज्ञान नहीं है इसीलिए मैं कवि नहीं बना। उन्होंने कहा कि अगर मैं कम्युनिस्ट पार्टी की सदस्यता लेता तो आज सबसे बड़ा उपन्यासकार होता। लेखक होने के लिए कोई पंथी होना जरूरी नहीं। आलोचकों ने मेरी साहित्यिक हत्या का प्रयास किया, लेकिन मेरे पाठकों को नहीं रोक सके। 

उन्होंने कहा कर्ण को दलित कहना या जातिवाद से जोड़ना तो आधुनिक सोच है। वह महाभारत की चांडाल चौकड़ी का हिस्सा था। द्रोपदी के चीरहरण के बारे में उसी ने कहा था। वही था जो अर्जुन को मारना चाहता था। उसे दलित मानना आधुनिक जमाने की सोच है, जबकि वह तो राजकुमारों के साथ पला बढ़ा था। उन्होंने कहा कि सृजन प्रक्रिया मां के गर्भ में बच्चा आने के समान है। मां को बच्चे को जन्म देना होता है, अन्यथा वह मर जाएगी। उसी तरह लेखक के मन में जो विचार आते है, तो लिखना होता है।

जागरूकता फैला रहा है सोशल मीडिया : ऐश्वर्या

जेएलएफ में सुपरस्टार रजनीकांत की बेटी और अभिनेता धनुष की पत्नी ऐश्वर्या ने महिला के साथ होने वाले दुष्कर्म, सोशल मीडिया, फिल्मों, सहित कई विषयों पर चर्चा की। उन्होंने कहा कि देशभर में महिलाओं पर हो रहे दुराचार के खिलाफ जागरूक करने में सोशल मीडिया बड़ी भूमिका अदा कर रहा है। अब उत्तर में क्या हो रहा है, वह दक्षिण को पता चल जाता है और दक्षिण की बात चंद पलों में उत्तर पहुंच जाती है। पहले गांव की बातें शहर तक नहीं आ पाती थीं। 
हालांकि महिलाओं से संबंधित विषयों पर फिल्में बनाने के लिए ज्यादा गंभीरता की जरूरत होती है। उन्होंने जल्लीकट्टू का समर्थन किया और कहा कि ये हमारी परंपरा है। इस पर रोक नहीं लगनी चाहिए। इसके जारी रखने के समर्थन में युवाओं के साथ हूं। ये युवाओं का खेल है। उन्होंने स्टैंडिंग ऑन एन एप्पल बॉक्स: मेमोयर्स एंड मेमोरीज सत्र में अपने पारिवारिक जीवन के लिए कहा कि धनुष को मेरे लिए मेरे माता-पिता ने चुना था। धनुष से सगाई के अगले दिन हमारी शादी हो गई। 

उन्होंने कहा कि रजनीकांत आध्यात्मिक व शाकाहारी हैं। वे बिना मेकअप कार्यक्रमों में चले जाते हैं, ये उनकी ताकत है। मेरे पिता, पति व मैं एक दूसरे के आलोचक हैं। फिल्म स्टार के बच्चों की तुलना यदि स्वस्थ विषयों पर की जाए, तो बेहतर होता है। क्योंकि सभी अपने-अपने काम करते हैं। 

उन्होंने कहा कि मेरी जिंदगी में पिता की तरह ही मेरी मां सुपर स्टार हैं। उनके कारण ही मैं लेखक, निर्माता, निर्देशक बन पाई हूं। उन्होंने कहा कि बच्चों को चकाचौंध से बचाए रखने के लिए वे अपने बच्चों को फिलहाल मीडिया, सोशल मीडिया आदि से दूर रखने का प्रयास करती हैं। उन्होंने कहा कि फिल्म इंडस्ट्री से संबंधित कोई चीज हटाना चाहेंगी, तो वो है  पायरेसी। ये काफी नुकसान कर रही है।

 
 

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