मकर संक्रांति में अब तीन दिन ही बचे हैं. ऐसे में दही-चूड़ा के भोज का माहौल राजधानी पटना के राजनीतिक गलियारों में बनने लगा है. लेकिन इस बार आरजेडी अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव के यहां दही-चूड़ा का भोज नहीं होगा, जिसकी सबसे ज्यादा चर्चा राजनीतिक हलकों में रहती थी. आरजेडी सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव की जमानत याचिका खारिज होने से उनके समर्थकों में मायूसी है.
बिहार ही नहीं देश की राजनीति में त्योहारों में रौनक के लिए जिन राजनीतिक परिवारों की सबसे ज्यादा चर्चा होती रही है, उनमें आरजेडी अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव का परिवार भी शामिल है. होली हो या फिर मकर संक्रांति पर दही-चूड़ा का भोज, लालू प्रसाद के यहां होने वाले आयोजन का सुर्खियों में आना लाजमी हुआ करता था.
जिस तरह से लालू परिवार छठ मनाता रहा है, उसकी भी चर्चा होती रही है. लेकिन इस बार आरजेडी अध्यक्ष के यहां छठ के बाद दही-चूड़ा का भोज भी नहीं होगा. भले ही दही-चूड़ा का भोज आरजेडी नहीं कर रहा हो लेकिन पार्टी नेताओं का कहना है कि लालू प्रसाद की गैर मौजूदगी की वजह से पार्टी नेताओं और कार्यकर्ताओं का संकल्प और मजबूत हुआ है.
2019 के चुनाव की तैयारी में नेता और कार्यकर्ता एकजुटता से लग गए हैं. वहीं, कांग्रेस के नेता भी आरजेडी के दही-चूड़ा भोज को मिस कर रहे हैं. उनका भी कहना है कि हालात ही ऐसे बन गए हैं. आरजेडी में भले ही दही-चूड़ा का भोज नहीं हो रहा है, लेकिन जदयू के प्रदेश अध्यक्ष वशिष्ठ नारायण सिंह के यहां पूरी तैयारी चल रही है.
दिल्ली से पटना आते ही वशिष्ठ नारायण सिंह ने भोज का न्योता देना शुरू कर दिया है. वशिष्ठ नारायण सिंह 21 साल से दही-चूड़ा का भोज कर रहे हैं. इस बार दस हजार लोगों के खाने का इंतजाम किया जा रहा है. राज्य के विभिन्न जिलों से दही-चूड़ा, तिलकुट और सब्जी मंगवायी गयी है. 22 कुंतल दही, 26 कुंतल सब्जी और 20 कुंतल तिलकुट मंगवाया गया है.
जेडीयू के प्रदेश अध्यक्ष के यहां दही-चूड़ा के भोज में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, उप मुख्यमंत्री सुशील मोदी, एलजेपी नेता रामविलास पासवान, बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष नित्यानंद राय, मंत्री नंदकिशोर यादव समेत तमाम एनडीए के नेता शामिल होंगे. वशिष्ठ नारायण सिंह राबड़ी देवी और तेजस्वी यादव को भी दही-चूड़ा भोज का न्योता देंगे. इधर, जेडीयू के नेताओं का कहना है कि हमारे यहां मकर संक्रांति पर भोज की परंपरा पुरानी है.