रीवा में सूअरों की लगातार हो रही मौतों की आई जांच रिपोर्ट ने पशु विभाग की चिंता बढ़ा दी है। रीवा से भेजे गए सैंपल में अफ्रीकन स्वाइन फीवर की पुष्टि हुई है। भोपाल स्थित राष्ट्रीय उच्च सुरक्षा पशु रोग संस्थान से जांच रिपोर्ट आते ही हड़कंप मच गया है।
अब तक 1500 से ज्यादा सूअरों की मौत
रीवा शहर में 12 दिन के अंदर 1500 से ज्यादा सूअरों की मौत हो चुकी है। पशु चिकित्सा विभाग का अमला स्वाइन फीवर मानकर वैक्सीनेशन कर रहा था। लेकिन भोपाल से जांच रिपोर्ट आने पर अब डोर-टू-डोर सर्वे कर जानकारी जुटाई जा रही है।
शुरू किया गया डोर-टू-डोर सर्वे
पशु चिकित्सा विभाग के उप संचालक डॉ. राजेश मिश्रा ने शनिवार को आनन-फानन में बैठक बुलाई। इस बैठक में पशुपालन विभाग, नगर निगम एवं वेटरनरी कॉलेज के अधिकारी भी मौजूद रहे। बैठक में डोर-टू-डोर सर्वे के लिए टीम गठित की गई है यह कार्य 24 घंटे में पूरा करने का टारगेट दिया गया है।
इन इलाकों में सबसे अधिक मौत
रीवा शहर में सूअरों की सर्वाधिक मौत वाला क्षेत्र धोबिया टंकी से बिछिया नदी होते हुए नारायण चक्की, पांडेन टोला, धोबिया टंकी वाला क्षेत्र है। इसमें वार्ड क्रमांक-28, 29, 38, 40, 41, 42 प्रमुख रूप से हैं। गौरतलब है कि रानीतालाब और नयातालाब क्षेत्र में बड़ी संख्या में लोगों द्वारा सूअर पालन किया जाता है। वार्ड क्रमांक-9 अंतर्गत निरालानगर क्षेत्र बंसल बस्ती से फिलहाल सूअरों की मौत का एक भी मामला सामने नहीं आया है। इस बस्ती में रहने वाले लोगों ने बड़ी संख्या में सूअर पाल रखे हैं लेकिन अभी तक इस इलाके में अफ्रीकन स्वाइन फीवर का कोई मामला सामने नहीं आया है।
कहां से आई यह बीमारी
नगर निगम द्वारा मृत सूअरों को उठाने के लिए 8 वाहन लगाए गए है। प्रतिदिन बड़ी संख्या में वह सूअरों के मौत की सूचनाएं आ रही है जिन्हे कुठुलिया क्षेत्र में दफनाया जा रहा है। इस बीमारी की विंध्य क्षेत्र में पहली बार दस्तक हुई है। पशु चिकित्सा विभाग के जानकारों की मानें तो यह बीमारी असम आदि क्षेत्रों में पाई जाती थी। यहां पहली बार यह बीमारी आई है। बीते माह यूपी में भी इस बीमारी ने दस्तक दी थी माना जा रहा है कि वहाँ से यह बीमारी यहां पहुंच गई।
इंसानों को कोई खतरा नहीं
हालांकि सूअरों की इस बीमारी से इंसानों को कोई खतरा नहीं होता यह बीमारी सूअरों में ही फैलती है। इस बीमारी को लेकर जिले भर का अमला एलर्ट हो गया है। जिले भर के पशु चिकित्सालयों की टीम को यह निर्देशित किया गया है कि अपने-अपने क्षेत्रों में नजर बनाकर रखें। जहां से भी बड़ी संख्या में सूअरों के मौत की जानकारी आए तत्काल अवगत कराएं। वन विभाग को भी पत्र लिखा जा रहा है कि वे जंगली क्षेत्रों में सूअरों के बीमार होने या मृत होने पर तत्काल जानकारी दें।