टाइम्स ऑफ इंडिया के अनुसार, इससे पहले यूब्रोंट्स ग्लेनिरोसेसिस थेरोपॉड डायनासोर के जीवाश्म फ्रांस,राजस्थान, पोलैंड, स्लोवाकिया, इटली, स्पेन, स्वीडन, ऑस्ट्रेलिया और अमेरिका में सहित कई जगह पाए गए हैं। इन डायनासोर के पैरों के निशानों की खोज यहां पहली बार डॉ वीरेन्द्र सिंह परिहार, डॉ सुरेश चंद्र माथुर और डॉ शंकर लाल नामा द्वारा की गई है।
डायनासोर के पैरों के मिले निशान
परिहार ने बताया, “आकृति विज्ञान के अनुसार, यूब्रोंट्स ग्लेनिरोसेसिस थेरोपॉड डायनासोर के पैरों के निशान लगभग 30 सेमी. लंबे रहे होंगे जबकि पैर की उंगलियों मोटी होने के साथ मजबूत रही होंगी। उनका शरीर 1 से 3 मीटर ऊंचा और 5-6 मीटर लंबा रहा होगा। कच्छ बेसिन और जैसलमेर बेसिन ऐसे क्षेत्र हैं जहां इन डायनासोर के अवशेष मिल सकते हैं।”
इस खोज के बाद इसी तरह की चट्टानों में डायनासोर के जीवाश्मों की खोज का नया रास्ता खुल सकता है। इसी तरह से प्रोफेसर माथुर ने अपनी टीम के साथ बड़े पैमाने पर डायनासोर, मगरमच्छ, गैस्ट्रोपॉड और मछलियों के जीवाश्म की महत्वपूर्ण खोज की थी। माथुर ने कहा कि इस खोज से डायनासोर के विलुप्त होने के रहस्य को सुलझाने में मदद मिल सकती है।
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