कोरोना वायरस कोविड-19 के संक्रमण की रोकथाम के लिए देशभर में लॉकडाउन जारी है। भारत सरकार द्वारा लागू लॉकडाउन अवधि में विभिन्न औद्योगिक संगठनों और संस्थानों सहित गैर घरेलू उपभोक्ताओं की परेशानी बढ़ी है।
बिजली बिल में रियायत दिए जाने की मांग सरकार से लगातार की जा रही थी। जिस पर छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने उद्योग और दुकानदारों के हित में अहम निर्णय लिया है।
गौरतलब है कि मुख्यमंत्री के पास ऊर्जा विभाग भी है। दुकानें बंद होने, उद्योग-धंधे ठप होने से कारोबारियों और विद्युत उपभोक्ताओं के हित में छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा यह अहम निर्णय लिया गया है।
प्रदेश के गैर घरेलू (व्यवसायिक), कृषि आधारित उद्योग और अन्य औद्योगिक विद्युत कनेक्शन का बिल जून तक स्थगित कर दिए जाने से तात्कालिक बड़ी राहत मिली है। अर्थात अप्रैल, मई और जून 2020 के बिलों पर डिमांड चार्ज का भुगतान 30 जून 2020 के बाद किया जा सकता है।
स्थगन अवधि (मॉरिटोरियम पीरियड) के पश्चात विद्युत बिल प्रभार की राशि को समान मासिक किश्तों में आगामी 6 महीने के विद्युत देयकों के साथ जोड़कर ली जाएगी। इसके अलावा अप्रैल, मई और जून 2020 के बिलों पर विलंब शुल्क 1.5 प्रतिशत के बजाय एक प्रतिशत ही लिया जाएगा।
बीते महीने प्रदेशभर के सभी नगद बिल संग्रहण केंद्रों को अस्थाई रूप से बंद किया गया था। इसे ध्यान में रखते हुए घरेलू उपभोक्ताओं को भी रियायत दी जा रही है।
इस संबंध में लिए गए निर्णय के मुताबिक ऐसे सभी निम्नदाब घरेलू विद्युत उपभोक्ताओं को जिन्हें 23 मार्च से 3 मई की अवधि में विद्युत देयक का भुगतान करना था उन्हें अब 31 मई तक बिना अधिभार के बिल अदा करने की सुविधा दी जाएगी। छत्तीसगढ़ राज्य विद्युत नियामक आयोग ने भी इस पर सहमति दे दी है।
छत्तीसगढ़ विद्युत वितरण कंपनी द्वारा 23 मार्च से 30 जून के बीच प्रदेश में क्रय की जाने वाली विद्युत और पारेषण के लिए देयकों के विलंब से भुगतान पर वर्तमान में लागू “ डिलेड पेमेंट सरचार्ज” की दर में पचास प्रतिशत की कमी की गई है।