वायुसेना कमांडरों के अर्द्धवार्षिक सम्मेलन में रक्षा मंत्री ने कहा कि सशस्त्र बलों की जरूरी क्षमताओं को हासिल करने के लिए बल के प्रमुखों को दी गई शक्तियों का पूरा उपयोग किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि पिछले दशक में समय पर फैसला लेने के अभाव के चलते पैदा हुई कमियों को दूर करने के लिए सरकार प्रतिबद्ध है।
क्षेत्रीय सुरक्षा के उभरते परिदृश्य और चीन-भारत सीमा के कुछ हिस्से में चीन के बढ़ते आक्रामक रुख के बीच वायुसेना कमांडरों का यह तीन दिवसीय सम्मेलन हो रहा है। पिछले हफ्ते चीफ ऑफ एयर स्टाफ एयर चीफ मार्शल बीएस धनोआ ने कहा था कि वायुसेना दो मोर्चों पर युद्ध की स्थिति में चीन और पाकिस्तान से पेश आने वाले किसी खतरे का साथ-साथ मुकाबला करने में सक्षम है।
वायुसेना ने एक बयान में कहा कि सम्मेलन का उद्घाटन करते हुए सीतारमण ने यह भी कहा कि बजटीय आवंटन को अड़चन के तौर पर नहीं देखा जाना चाहिए और जो पूरी तरह से जरूरी है उसे प्राप्त करने पर गौर किया जाना चाहिए।
फिलहाल वायुसेना में 33 फाइटर स्क्वाड्रन हैं जबकि इसकी अधिकृत क्षमता 42 स्क्वाड्रन है। वायुसेना सरकार से यह पुरजोर अनुरोध कर रही है कि वह लड़ाकू विमानों की खरीद में तेजी लाए ताकि कमी से निपटा जा सके। रक्षा मंत्री ने कहा कि डीआरडीओ और आर्डिनेंस फैक्टरी बोर्ड के साथ वायुसेना को ‘मेक इन इंडिया’ कार्यक्रम के तहत स्वदेशीकरण के संभावित क्षेत्रों का आंकलन करना चाहिए।
उन्होंने दोहराया कि ज्यादातर परिस्थितियों में वायुसेना ही सबसे पहले जवाब देती है और इस तरह ‘मेक इन इंडिया’ पहल पर जोर दे कर क्षमता बढ़ाने की प्रक्रिया को सतत रखने की जरूरत है। वायुसेना ने कहा कि सम्मेलन में बल के संचालन और रख रखाव के मुद्दों पर चर्चा होगी।
इसमें कई प्रशासनिक पहल भी किए जाने की उम्मीद है। वायुसेना ने कहा कि सरकार की डिजिटल इंडिया पहल के अनुरूप एयरफोर्स सेलुलर नेटवर्क के लिए दो मोबाइल ऐप भी सम्मेलन के दौरान पेश किए जाने की उम्मीद है।
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