योगी मंत्रिमंडल में फेरबदल की सुगबुगाहट फिर शुरू हो गई है। नीति आयोग की मंशा के अनुरूप विभागों के पुनर्गठन में सरकार की तेजी से इसकी उम्मीद बढ़ी है। वैसे तो फेरबदल पिछले वर्ष ही होना था लेकिन, कभी सरकार के एक वर्ष पूरा होने तो कभी उपचुनाव तो कभी संगठनात्मक अभियान की वजह से यह टलता रहा। अब संकेत मिल रहे हैं कि जुलाई में फेरबदल होगा।
नीति आयोग ने उत्तर प्रदेश के बिखरे विभागों को केंद्र सरकार के विभागों की तरह समन्वित करने की अपेक्षा की है। 95 विभागों को 57 विभागों में समेटने का प्रस्ताव है। इस सिलसिले में शुक्रवार को मुख्यमंत्री ने अधिकारियों के साथ बैठक की और इस प्रस्ताव का फिर से अवलोकन करने का निर्देश दिया। इस बैठक के बाद मंत्रियों से लेकर सत्ता के गलियारे में यह चर्चा तेज हो गई कि मंत्रिमंडल में फेरबदल के लिए ही विभागों के पुनर्गठन को लेकर सरकार सक्रिय हुई है।
इस संभावना के चलते मंत्रियों को भी अपने विभाग बदले जाने और छिन जाने का खतरा सता रहा है। सवा साल की सरकार में कुछ मंत्रियों ने बेहतर रिजल्ट दिए तो कई मंत्री जनता, विधायकों और कार्यकर्ताओं के साथ ही मुख्यमंत्री और भाजपा संगठन की कसौटी पर भी खरा नहीं उतर सके। अब ऐसे लोगों पर खतरा मंडरा रहा है।
हालांकि तजुर्बेकार कहते हैं कि सामने 2019 का लोकसभा चुनाव होने की वजह से मंत्रियों के हटाने का जोखिम सरकार नहीं ले सकती है। निष्क्रिय और रिजल्ट न दे पाने वाले भारी भरकम विभागों के मंत्रियों को कम महत्वपूर्ण विभाग दिया जा सकता है। वैसे कुछ मंत्रियों के खिलाफ तो पार्टी के ही सांसद, विधायक और कार्यकर्ता मुखर हो गए हैं। ऐसे दो-तीन लोगों के हटाये जाने की भी चर्चा चल पड़ी है।