ये कुवाँ है या पाताल लोक? जिसने भी देखा रहस्य उसको नहीं आयी नींद: देखने से पहले सावधान
ये कुवाँ है या पाताल लोक? जिसने भी देखा रहस्य उसको नहीं आयी नींद: देखने से पहले सावधान

ये कुवाँ है या पाताल लोक? जिसने भी देखा रहस्य उसको नहीं आयी नींद: देखने से पहले सावधान

पंजाब के चर्चित कालिया वाला कुएं की सफाई के दौरान एक बार फिर कई हैरान करने वाली चीजें निकली हैं. अमृतसर से 30 किमी दूर अजनाला गांव के इस ऐतिहासिक कुएं में करीब 157 साल पहले 282 भारतीय सैनिकों को अंग्रेजों ने जिंदा दफना दिया था. ये सैनिक लाहौर में ब्रिटिश शासन के खिलाफ बगावत कर दिल्ली की ओर बढ़ रहे थे.ये कुवाँ है या पाताल लोक? जिसने भी देखा रहस्य उसको नहीं आयी नींद: देखने से पहले सावधान

कुछ दिन पहले ही सिख श्रद्धालुओं ने ‘कालिया वाला खूह’ नामक इस कुएं की खुदाई कर अवशेषों को निकाला था. बाद में इस कुएं को ‘शहीदोंवाला कुआं’ कहा जाने लगा था. 26 जनवरी शुक्रवार को कालिया वाला कुआं यादगारी फाउंडेशन कमेटी ने यहां सफाई कराई तो कई पुरातत्व चीजें यहां नजर आई. इसके बाद इन चीजों को देखने के लिए लोगों की यहां लाइन लग गई.

यहां खुदाई में पानी निकालने के लिए इस्तेमाल की जाने वाली चीजें, मटके, नरकंकाल, खोपड़ियां आदि मिले हैं. आपकी जानकारी के लिए बता दें कि 1857 में सैनिकों ने की बगावत थी. 500 के करीब सैनिक लाहौर से दिल्ली के लिए निकले थे. 218 निहत्थे भारतीय सैनिकों को अजनाला के पास दादिया गांव में मारा गया था. 282 सैनिकों को अजनाला के एक कुएं में जिंदा दफन कर दिया था.

2 अंग्रेज सैनिक अफसरों की हत्या कर शुरू बगावत की थी. 80 खोपड़ियों और नरकंकाल के अलावा सिक्के और मेडल भी खुदाई में मिले थे. ये सभी जवान 26वें बंगाल नेटिव इनफेंट्री के थे. अगस्त 1857 में अमृतसर के तत्कालीन डिप्टी कमिश्नर फ्रेडरिक हैनरी कूपर और कर्नल जेम्स जॉर्ज ने इस नरसंहार की योजना बनाई थी. कूपर ने अपनी पुस्तक “द क्राइसिस ऑफ पंजाब” में भी इस घटना का उल्लेख किया है.

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