अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा इजरायल की राजधानी के तौर पर येरुशलम को मान्यता दिए जाने के फैसले के बाद इलाके में तनाव बढ़ गया है. अमेरिकी राष्ट्रपति के विवादित फैसले को लेकर सैकड़ों फलस्तीनी प्रदर्शनकारियों ने प्रदर्शन किया. उनकी पश्चिमी तट में इस्राइली जवानों से झड़पें हुईं जबकि गाजा में कार्यकर्ताओं ने ट्रंप के पोस्टर जलाए. ख़बरों के अनुसार फलस्तीनी प्रदर्शनकारियों और इस्राइली जवानों के बीच हुए संघर्ष में 16 फलस्तीनी घायल हो गए.
गाजा का प्रशासन चला रहे उग्रवादी संगठन हमास के नेता ने बड़े पैमाने पर गुस्से का इजहार करने के लिए नये सैन्य आंदोलन का आह्वान किया. एक जनसभा को संबोधित करते हुए हमास के प्रमुख इस्माइल हानिये ने कहा, “शुक्रवार को सार्वजनिक क्रोध का दिन होगा और यह आंदोलन जेरुसलम की स्वतंत्रता के लिए जन विद्रोह (इंतिफादा) के नाम से शुरू होगा.
प्रदर्शनकारियों ने अमेरिकी और इस्राइली झंडे भी जलाए. पश्चिमी तट में प्रदर्शनकारियों की भीड़ ने टायरों में आग लगा दी और इस्राइली जवानों पर पथराव किया. वेस्ट बैंक के रामल्लाह, बेथलेहम और हेब्रोन शहरों के साथ पूर्वी जेरुसलम और गाजा पट्टी में भी विरोध प्रदर्शन हुए. खबरों के अनुसार, गाजा में इजराइली सैनिकों के साथ हुए संघर्ष के दौरान तीन फिलिस्तीनी घायल हो गए.
वहीं, ट्रंप के विवादित फैसले पर दुनिया भर में आलोचना शुरू हो गई है. फिलिस्तीन के राष्ट्रपति महमूद अब्बास ने इस निर्णय को ‘निंदनीय’ बताया और कहा कि इससे ‘फिलिस्तीन राज्य की अनन्त राजधानी’ के रूप में जेरुसलम की स्थिति नहीं बदलेगी. अमेरिका के सहयोगी देशों समेत अरब और मुस्लिम बहुल देशों ने ट्रंप की इस घोषणा की निंदा की है. संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के 15 देशों में से आठ देशों ने इस पर आपातकालीन सत्र बुलाया है, जहां शुक्रवार को इस मुद्दे पर चर्चा की जाएगी.
तुर्की के राष्ट्रपति रीसप एर्दोगान ने कहा कि अमेरिका का फैसला ना सिर्फ अंतर्राष्ट्रीय कानूनों का उल्लंघन है, बल्कि मनुष्यता की चेतना के लिए गंभीर झटका है. वहीं, इरान के राष्ट्रपति हसन रोहनी ने कहा कि ईरान ‘इस्लामी पवित्रता का उल्लंघन को बर्दाश्त नहीं करेगा. मुसलमानों को इस बड़े साजिश के खिलाफ एकजुट होना चाहिए.”
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