यहां आवाज देकर नहीं सीटी बजाकर एक-दुसरे को पुकारते हैं लोेग

हमारे समाज में सीटी बजाना अच्छे संस्कार नहीं माने जाते हैं। अगर घर में बच्चे कभी सीटी बजाते भी है तो परिवार के लोग उन्हें डांट देते हैं। लड़के तो सीटी बजाते हैं तो फिर भी चल जाता है लेकिन लड़कियां अगर सीटी बजाती है तो वह अच्छे संस्कार नहीं माने जाते हैं। लेकिन आज आपको देश के ऐसे गांव से रूबरू कराने जा रहे हैं जहां लोग सीटी बजाकर एक-दूसरे को बुलाते हैं।
सीटी बजाकर एक-दुसरे को पुकारते हैं लोेग:
ऐसी परंपरा मेघालय राज्य के कांगथांन गांव की है। जहां पर सभी लोग एक-दूसरे को सीटी बजाकर बुलाते हैं। इस गांव में करबी 650 लोग रहते हैं। सभी की ट्यून अलग होती है। यह गांव चारो तरफ पहाड़ियों से घिरा हुआ है जिस वजह से सीटी बजाते ही आवाज पूरी तरह गूंजने लगती है। जो लोग सीटी नहीं बजा पाते वह अलग-अलग तरह से धुन बजाकर पुकारते हैं जो कभी रिपीट नहीं होती है।
क्या है मान्यता:
ऐसा भी मान्यता है कि जो लोग मर जाते हैं उनके द्वारा बजाई गई सीटी और धुन दूसरे लोग उपयोग नहीं कर सकते हैं। इस गांव को व्हिसलिंग विलेज के नाम से भी जाना जाता है। भारत देश में जहां सीटी बजाना अच्छी बात नहीं मानी जाती है। उसी देश के एक राज्य में सीटी बजाकर इस तरह से लोगों को बुलाया जाता हैं।

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