मोदी सरकार का कृषि विधेयक किसानों के लिए बेहद घातक साबित होगा: जयंत चौधरी

राष्ट्रीय लोकदल के उपाध्यक्ष व पूर्व सांसद जयंत चौधरी का कहना है कि संसद से पारित किए गए कृषि संबंधी विधेयकों का खेती-किसानी पर दूरगामी प्रतिकूल असर पड़ेगा। इसमें न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) का प्रावधान न करना किसानों के लिए घातक साबित होगा। कांट्रेक्ट फार्मिंग से छोटी जोत के किसान आने वाले समय में मजदूर बन जाएंगे। छोटा किसान धीरे-धीरे मजदूर बनता चला जाएगा।

जयंत चौधरी ने मीडिया से बातचीत में कहा कि लोकतंत्र में हर कानून की पृष्ठभूमि होती है। जिसके लिए कानून बनाया जाता है, उससे विचार-विमर्श होता है, इससे होने वाली लाभ-हानि पर चर्चा होती है। कृषि से जुड़े विधेयक पास कराने में इसका उल्टा हुआ है। कोरोना काल में  बिना किसी तात्कालिक जरूरत के, बिना किसानों की मांग के केंद्र सरकार चुपचाप किसानों से जुड़े तीन अध्यादेश ले आती है और संसद में बिना चर्चा के पारित करा लेती है।

राज्यसभा में बहुमत नहीं था, इसलिए वोटिंग ही नहीं होने दी। किसान कह रहे हैं, हमें नए कानून नहीं चाहिए, लेकिन सरकार इन्हें लागू करने पर आमादा हैं। आंदोलन न होने पाए, इसलिए कर्फ्यू जैसा माहौल बनाया जा रहा है।

जयंत ने कहा कि लगता है कि सरकार में शीर्ष स्तर पर इन विधेयकों को लागू करने का अनैतिक दबाव था, जिसे कृषि सुधार का नाम दिया जा रहा है। शहंशाह का मूड था, उन्होंने नए कानून का एलान कर दिया। कृषि राज्य का विषय है। एग्रीकल्चर प्रोड्यूस मार्केटिंग कमेटी (एपीएमसी) एक्ट राज्य का है, केंद्र इसमें दखल दे रहा हैं। इसे कानूनी तौर पर चुनौती दी जा सकती है।

रालोद नेता ने कहा कि किसान मंडी के भीतर उत्पाद बेचेगा तो मंडी शुल्क लगेगा। मंडी के बाहर बेचने पर शुल्क नहीं लगेगा। मंडियां खत्म होती चली जाएंगी। ऐसे में यदि किसान को न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की गारंटी नहीं होगी तो उसके लिए घातक परिणाम होंगे।

नए विधेयक में एमएसपी का जिक्र नहीं है। प्रधानमंत्री मौखिक तौर पर कह रहे हैं कि एमएसपी लागू रहेगा। उन्होंने 14 दिन के भीतर गन्ना मूल्य भुगतान समेत मौखिक तौर पर कितने वादे किए, क्या इनमें कोई पूरा हुआ? आवश्यक वस्तु अधिनियम से कृषि उत्पादों को अलग कर दिया गया है। इससे कालाबाजारी बढ़ेगी।

एक बड़ा प्रावधान यह है कि यदि किसान और खरीददार के बीच विवाद होगा तो उसकी सुनवाई उपजिलाधिकारी (एसडीएम) करेगा। मौजूदा सिस्टम में सभी जानते हैं कि एसडीएम किसके हक में फैसला देगा? लगता है सरकार ने दो-चार बड़े कारपोरपेट घरानों को लाभ पहुंचाने के लिए विधेयक में प्रावधान कराए हैं।

 

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