देश के कुछ लोगों ने अपने मन में यह धारणा बना ली है कि नरेन्द्र मोदी सारे काम इनके कहने पर ही करते हैं। मोदी सरकार ने ऐसा सोचने वालों के लिए अपने इस कारनामे से चुप करा दिया है।
सरकार ने पिछले सात सालों से केजी बेसिन में रिलायंस और उसकी सहयोगी कंपनियों की दखलंदाजी के लिए 1.55 बिलियन डॉलर (लगभग 10311.76 करोड़ रूपये) की माँग की है। आपको बता दें, इस बेसिन में तेल निकालने का हक़ राज्य के अधीन काम करने वाली कंपनी ओएनजीसी का है। इसमें रिलायंस और उसकी सहयोगी कंपनियों ने दखलंदाजी की है। पेट्रोलियम मंत्रालय ने रिलायंस समूह के पास 1.55 बिलियन डॉलर मुआवजे के लिए नोटिस भेजा है। जस्टिस ए.पी. साह की समिति ने पेट्रोलियम मंत्रालय को इस मुद्दे पर अपनी रिपोर्ट सौंपी है। इस रिपोर्ट में साफ़ तौर पर कहा गया है कि रिलायंस इंडस्ट्री बंगाल के केजी बेसिन में ओएनजीसी के पास ही प्राकृतिक गैस निकालने का काम कर रही है, इसके एवज में उसे सरकार को पैसे देने चाहिए। इसी रिपोर्ट में एक सदस्य ने कहा है कि, ओएनजीसी से निकालकर गैस अपनी जगह ले जाने के लिए मुकेश अम्बानी को सरकार को पैसे देने चाहिए।