मोटापे व डायबिटीज का रहता है खतरा, इस बीमारी में लगती है बच्चों को बहुत भूख…

जब भी कोई बच्चा किसी गंभीर बीमारी के साथ पैदा होता है तो उसके मां-बाप उस बीमारी के बारे में सबकुछ पता कर लेना चाहते हैं ताकि बच्चा जल्दी ठीक हो जाए। वह दुनिया में मौजूद प्रत्येक तरीके व नुस्खे का इस्तेमाल करते हैं। इसी क्रम में कई बार विशेषज्ञों की निगरानी में वह उस बीमारी के इलाज का सबसे ठीक तरीका भी निकाल लेते हैं।

 

शिकागो की रहने वाली लारा सी पुलेन ने अपने बच्चे की बीमारी का इलाज खोजने की जिद में कुछ ऐसा ही कर दिखाया है। उनका बेटा कियान टैन प्रेडर विली सिंड्रोम नामक एक दुर्लभ व लाइलाज बीमारी से पीड़ित था। अपने अध्ययन से पुलेन ने इसके इलाज में मदद कर सकने वाली दवा का पता लगा लिया है। जन्म के समय कियान बिलकुल स्वस्थ लग रहा था। 24 घंटे के बाद ही उसे स्तनपान करने में दिक्कत आने लगी। एक टेस्ट से पता चला कि वह प्रेडर विली सिंड्रोम से पीड़ित है। इस बीमारी के कारण पहले तो नवजात को स्तनपान व कोई भी खाद्य पदार्थ ग्रहण करने में दिक्कत आती है। लेकिन दो-तीन साल के बाद उन्हें बहुत ज्यादा भूख लगने लगती है। इस कारण वह मोटापे के साथ टाइप 2 डाइबिटीज के भी शिकार हो जाते हैं। उनकी लंबाई अधिक नहीं बढ़ पाती है और जननांग भी सही तरीके से विकसित नहीं होते हैं। मानसिक क्षमता कमजोर होने और बोलने में परेशानी के साथ उन्हें कई और तरह की भी दिक्कतें भी हो सकती है।

क्यों होती है यह बीमारी-  दुनियाभर के प्रत्येक 15 से 20 हजार बच्चों में से एक इस गंभीर बीमारी से पीड़ित होता है। पिता से बच्चे को मिले क्रोमोजोम 15 के कई जीन में कमी या उसमें गड़बड़ी के कारण यह बीमारी होती है। इस बीमारी के उपचार के दौरान बच्चे के खानपान का ध्यान देने और उनके द्वारा ली जा रही कैलोरी का नियंत्रण करना सबसे अहम होता है।

किस तरह ढूंढा इलाज-  पेशे से इम्यूनोलॉजिस्ट पुलेन ने इस सिंड्रोम के इलाज के लिए खानपान के साथ ही कियान के मस्तिष्क के विकास का भी खास ध्यान रखा। जन्म से दो साल की उम्र तक उन्होंने कियान को अंडा, दही व एवोकैडो आदि का अधिक सेवन कराया ताकि उसके मस्तिष्क का सही से विकास हो। जब कियान को अत्यधिक भूख लगने की समस्या हुई तो पुलेन ने उसके आहार में कार्बोहाइड्रेट की मात्रा घटा दी। पुलेन इस बीमारी से होने वाली न्यूरोलॉजिकल गड़बड़ी का भी अध्ययन कर रही थी। इसी क्रम में उन्होंने एक विशेषज्ञ के साथ मिलकर छोटा प्रयोग किया। उन्होंने प्रेडर सिंड्रोम से पीड़ित दस बच्चों को पिटोलिजेंट नामक दवा दी। नौ को इस दवा से फायदा हुआ। स्लीप डिसऑर्डर के इलाज में इस्तेमाल किया जाता है। पुलेन का कहना है कि पिटोलिजेंट मस्तिष्क में मौजूद एच-3 रिसेप्टर पर असर करता है। यह रिसेप्टर भूख को नियंत्रित करने में भूमिका निभाता है। अपनी रिपोर्ट में उन्होंने दावा किया कि पिटोलिजेंट दवा प्रेडर विली सिंड्रोम के चलते शरीर में होने वाली गड़बड़ियों को ठीक करने में सहायक होगा। 

Powered by themekiller.com anime4online.com animextoon.com apk4phone.com tengag.com moviekillers.com