मैराथन दौड़ का आयोजन, बच्चों के सेहत से हो रहा खिलवाड़…

वायु प्रदूषण खतरनाक स्थिति तक पहुंच गया है। इसके बावजूद दिल्ली में बृहस्पतिवार को बच्चों के लिए मैराथन दौड़ का आयोजन किया गया। इस मैराथन में बड़ी संख्या में बच्चों ने शिरकत की लेकिन किसी के मुंह पर मॉस्क नहीं देखा गया।

एक एनजीओ की तरफ से आयोजित रन फॉर चिल्ड्रेन को मॉडल और एक्टर सिमरन कौर मुण्डी ने हरी झंडी दिखाकर रवाना किया। बच्चों की यह दौड़ चाणक्यपुरी के विनय मार्ग पर आयोजित की गई। हवा की गुणवत्ता आपातकालीन स्थिति में पहुंचने की वजह से बच्चों के लिए यह दौड़ खतरनाक हो सकती है। बता दें कि दिल्ली के अधिकांश इलाकों में वायु प्रदूषण 472 से 487 तक मापा गया।

मैराथन में बड़ी संख्या में लड़कियों ने भी हिस्सा लिया। आरोप है कि मैराथन कराने वाली संस्था ने बच्चों की सेहत पर ध्यान नहीं रखा और बगैर सुरक्षा के दौड़ प्रतियोगिता करवाई।

पराली ने फैलाया इस बार सर्वाधिक प्रदूषण: गार्गवा

इस बार दिल्ली-एनसीआर को प्रदूषित करने में पराली जलने की घटनाओं की बड़ी हिस्सेदारी रही है। पराली जलाने के पीक सीजन में दिल्ली 44 फीसद तक प्रदूषित हुई। सीपीसीबी के सदस्य सचिव डॉ. प्रशांत गार्गवा ने इंडिया हैबिटेट सेंटर में टेरी के कार्यक्रम में यह बात कही।

सफर के मुताबिक एक नवंबर को हरियाणा और पंजाब में पराली जलाने की वजह से दिल्ली-एनसीआर 44 फीसद तक प्रदूषित रहे। हवाओं के साथ यह धुआं दिल्ली पहुंच रहा है। गार्गवा के अनुसार इस समय हवाओं की गति भी कम है। दिल्ली व एनसीआर में अक्टूबर से पहले ही मलबा और कूड़ा हटाने के लिए स्पेशल ड्राइव होनी चाहिए। ऐसे में हमें मिलकर इस समस्या का हल करना होगा। मलबा हटाने के लिए स्पेशल क्लीन अप ड्राइव जुलाई, अगस्त और सितंबर में भी चलानी चाहिए जिसमें इस मलबे को राजधानी से दूर ले जाना चाहिए।

धुएं को कम करने के लिए पब्लिक ट्रांसपोर्ट में बड़ा इनवेट करने की जरूरत

उन्होंने इस बार पर भी जोर दिया कि इस समय गाड़ियों से होने वाले धुएं को कम करने के लिए पब्लिक ट्रांसपोर्ट में बड़ा इनवेट करने की जरूरत है। टास्क फोर्स जैसे ही कार, डीजल कार आदि पर प्रतिबंध लगाने पर सोचना शुरू करती है सबसे बड़ा सवाल हमारे पास यही आता है कि लोगों को विकल्प क्या देंगे? इस काम में जरूरत पड़ने पर प्राइवेट सेक्टर की मदद भी ली जा सकती है। पावर प्लांट सल्फर डायआक्साइड हवा में घोल रहे हैं और यह पीएम 2.5 को जहरीला बना रहा है। 25 से 30 फीसद तक पीएम 2.5 में इसकी हिस्सेदारी है। इसका सीधा अर्थ यह है कि हमें प्रदूषित गैसों का हल भी ढूंढना है।

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