मैकेनिक पहली महिला

ये…है भारत की ट्रक मैकेनिक पहली महिला

“कौन कहता है आसमां में सुराख नहीं हो सकता, एक पत्थर तो तबियत से उछालो” इन लाइनों को कवि दुष्यत कुमार ने उनके लिए लिखा था, जो हाशिये पर खड़े हैं. इन लाइनों का सही ठहराती दिल्ली की शांति देवी उनके लिये प्रेरणा हैं,मैकेनिक पहली महिला

जो जीवन में हार नहीं मानते, बल्कि हौसले के बल पर अपने लिए खुद रास्ता बनाते हैं. सोचिए कभी आप अपनी गाड़ी से दिल्ली की सड़कों पर गुजर रहे हों और आपकी गाड़ी के टायर बीच रास्ते में पंक्चर हो जाये तो आप परेशान होकर किसी पंक्चर बनाने वाले मिस्त्री की तलाश करने लगते हैं.

इसी दौरान अगर कोई महिला आपके पास आकर बोले कि वो आपकी गाड़ी के टायर का पंक्चर ठीक कर सकती है, तो जरा सोचिए आपको कैसा लगेगा. जाहिर सी बात है कि आप हैरत में पड़ जाएंगे. जी हां, दिल्ली की शांति देवी ऐसी महिला हैं,

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जो मिनटों में गाड़ियों की टायरे बदलकर पंक्चर ठीक कर देती हैं. छोटी गाड़ियों को तो छोड़िए शांति देवी बड़े-बड़े ट्रकों के टायर को भी पलक झपके बदल देती हैं और उनके पंक्चर भी ठीक कर देती है. 55 साल की शांति देवी इस उम्र में भी रोजाना लगभग 12 घंटे काम करती हैं.

वो पिछले 20 साल से नेशनल हाइवे 4 पर लगे संजय गांधी नगर ट्रांसपोर्ट डिपो (आजादपुर मंडी) में पंक्चर ठीक करने का काम करती हैं. इनको काम करते देखकर हट्टे-तगड़े नौजवान भी हैरात में पड़ जाते हैं, कि वो एक महिला होकर भी कैसे इतनी आसानी से ट्रक के बड़े-बड़े टायरों को मिनटों में बदल देती हैं. शांति देवी रोजाना 10 से 15 टायरों के पंक्चर ठीक करती हैं. इसके साथ ही वो वजन में लगभग 50 किलो वजन के टायर को आराम से उठा भी सकती हैं.

 

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