हैदराबाद: तेलंगाना के मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव ने इन आरोपों से इंकार किया है कि उन्होंने प्रधानमंत्री मोदी के लिए अभद्र भाषा का इस्तेमाल किया. उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री मेरे अभिन्न मित्रों में शामिल हैं और मैंने दिल्ली में उनसे मिलने का समय भी मांगा था. हालांकि, वे मुझे समय नहीं दे पाए, लेकिन इससे यह स्पष्ट हो जाना चाहिए कि मेरे मन में उनके लिए कोई दुर्भावना नहीं है.
हालांकि, उन्होंने आगे जोड़ा कि राष्ट्रीय राजनीति में बदलाव की जरूरत है. आम लोग 2019 में बदलाव चाहते हैं. मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के सीताराम येचुरी भी मेरे मित्र हैं और हाल में दिल्ली में उनसे मेरी मुलाकात हुई थी. मैं समान विचारधारा वाले लोगों से बातचीत कर रहा हूं. यदि जरूरत पड़ी तो मैं बदलाव के लिए शुरू होने वाले आंदोलन का नेतृत्व भी कर सकता हूं.
गौरतलब है कि 28 फरवरी को करीमनगर में एक जनसभा को संबोधित करते हुए चंद्रशेखर राव ने दोनों प्रमुख राष्ट्रीय पार्टियों, भाजपा और कांग्रेस पर तीखे प्रहार किए थे. प्रधानमंत्री की चर्चा करते हुए उन्होंने कहा था कि मैंने उनसे कम से कम 20 बार किसानों की समस्या पर ध्यान देने का आग्रह किया था, लेकिन कुछ नहीं हुआ. यदि लोग नरेंद्र मोदी से गुस्सा हो गए तो राहुल गांधी या कोई और गांधी नया प्रधानमंत्री बन जाएगा. इससे क्या फर्क पड़ेगा. हमने पहले भी दशकों तक उनकी सरकार को देखा है. भाजपा आती है तो दीनदयाल उपाध्याय या श्यामा प्रसाद मुखर्जी की चर्चा करती है. कांग्रेस की सत्ता हो तो वे राजीव गांधी और इंदिरा गांधी की चर्चा करते हैं. दोनों पार्टियां बड़बोलेपन की शिकार हैं.
जानकारी सामने आने के बाद केंद्रीय रक्षामंत्री निर्मला सीतारमण ने मुख्यमंत्री के बेटे से इसको लेकर आपत्ति जताई थी. सीतारमण ने कहा था कि मुख्यमंत्री और प्रधानमंत्री दोनों संवैधानिक पद हैं और उनका विरोध भी गरिमापूर्ण तरीके से होना चाहिए. के चंद्रशेखर राव पहले भी प्रधानमंत्री के लिए अपमानजनक भाषा का इस्तेमाल कर चुके हैं. 2014 में उन्होंने प्रधानमंत्री को तानाशाह कहा था. हालांकि, नोटबंदी के बाद दोनों के बीच हुई मुलाकात के बाद दोनों के संबंध सामान्य हो गए थे.
इधर, चंद्रशेखर राव भाजपा के खिलाफ मोर्चे का नेतृत्व करने का दावा भले कर रहे हैं, लेकिन कांग्रेस के वरिष्ठ नेता एस जयपाल रेड्डी ने कहा है कि राव 2019 के चुनाव से पहले या इसके बाद भाजपा के खेमे में जा सकते हैं. रेड्डी के मुताबिक उनके पास और कोई विकल्प भी नहीं है. रेड्डी ने यह दावा भी किया कि राव की पार्टी 2014 में भी भाजपा के साथ जाना चाहती थी, लेकिन तेलुगुदेशम पार्टी के साथ भाजपा के गठबंधन के कारण यह संभव नहीं हो पाया.