मिर्गी की बीमारी में हाथ, पैर और चेहरे के मांसपेशियों में खिंचाव होने लगता है. मिर्गी होने के कई कारण हो सकते है जैसे रोगी के शरीर में विषैले पदार्थ जमा होने के कारण मस्तिष्क के कोषों पर दबाब बनना, स्नायु सम्बंधी रोग, ट्यूमर रोग, मानसिक तनाव, संक्रमक ज्वर आदि के कारण भी यह रोग पैदा हो जाता है.
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1-मिर्गी के रोगी को ज्यादा फैट वाला और कम कार्बोहाइड्रेड वाला डायट लेना चाहिए. मिर्गी के रोगी को प्रोटीन और विटामिन युक्त भोजन करना चाहिए.
2-मिर्गी के रोग से पीड़ित रोगी को सुबह के समय गुनगुने पानी के साथ त्रिफला के चूर्ण का सेवन करना चाहिए. तथा फिर सोयाबीन को दूध के साथ खाना चाहिए इसके बाद कच्ची हरे पत्तेदार सब्जियां खाने चाहिए.
3-बकरी का दूध मिरगी के मरीजों के लिए काफी फायदेमंद होता है. 2 कप दूध में चौथाई कप मेंहदी के पत्तों का रस मिलाकर प्रतिदिन सुबह खाना खाने के 2 घंटे बाद कुछ सप्ताह तक लगातार सेवन करने से मिर्गी के रोग में लाभ मिलता है.
4-अंगूर और शहतूत के रस का सेवन मिर्गी के रोगियों के लिए फायदेमंद होता है. रोजाना सुबह खाली पेट आधा किलो शहतूत और अंगूर का रस लें.नींबू के रस के साथ गोरखमुण्डी को खाने से मिर्गी के दौरे आने बन्द हो जाते हैं.प्याज के रस के साथ थोड़ा सा पानी मिलाकर सुबह पीने से मिर्गी के दौरे पड़ने बन्द हो जाते हैं.प्याज के रस के साथ थोड़ा सा पानी मिलाकर सुबह पीने से मिर्गी के दौरे पड़ने बन्द हो जाते हैं.
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