बसपा सुप्रीमो मायावती के शासनकाल में उत्तर प्रदेश राज्य चीनी निगम लिमिटेड की सात चीनी मिलें कौड़ियों के दाम खरीदने वाली कंपनियां जांच में फर्जी निकलीं। शासन को जांच रिपोर्ट मिलने के बाद निगम के प्रधान प्रबंधक एसके मेहरा ने गोमतीनगर थाना में फर्जी कंपनियों के निदेशकों के खिलाफ धोखाधड़ी की धाराओं में केस दर्ज कराया है। इन कंपनियों के पीछे बड़े खिलाड़ियों का नाम सामने आ सकता है।
इंस्पेक्टर आनंद प्रकाश शुक्ला ने बताया कि उत्तर प्रदेश राज्य चीनी निगम लिमिटेड अधीन 10 चालू व 11 बंद चीनी मिलों की बिक्री वर्ष 2010-11 में की गई थी। इनमें से देवरिया, बरेली, लक्ष्मीगंज और हरदोई स्थित इकाई खरीदने के लिए दिल्ली की नम्रता मार्केटिंग प्राइवेट लिमिटेड कंपनी तथा रामकोला, छितौनी व बाराबंकी इकाई खरीदने के लिए गिरियाशों कंपनी प्राइवेट लिमिटेड ने दावा प्रस्तुत किया था।
दोनों कंपनियों के निदेशकों ने वर्ष 2008-09 की बैलेंसशीट लगाई। शासन की तरफ से गठित समिति ने सलाहकारों की संस्तुति के आधार पर दोनों कंपनियों को सातों इकाइयां बेच दीं।
इस बीच नई दिल्ली स्थित गंभीर कपट अन्वेषण विभाग की जांच में दोनों कंपनियां फर्जी पाई गईं।
नम्रता मार्केटिंग कंपनी की तरफ से प्रस्तुत किए गए प्रमाणपत्रों में सौरभ मुकुंद और मोहम्मद जावेद तथा गिरियाशों कंपनी की तरफ से दिए गए प्रमाणपत्र में मो. नसीम व मो. वाजिद को निदेशक बताया गया है। प्रमाणपत्रों के साथ ही लगी बैलेंस शीट में दो निदेशकों राकेश शर्मा व डीके गुप्ता के हस्ताक्षर हैं। इसी तरह गिरियाशों कंपनी की बैलेंस शीट में निदेशक डीके गुप्ता व सुमन शर्मा के हस्ताक्षर हैं।