महाकाल मंदिर में भस्मारती अनुमति में जमकर दलाली का खेल चल रहा है। मंदिर प्रशासन के आंकड़े ही यह स्थिति बयां कर रहे हैं। मंदिर प्रशासन के अनुसार हर दिन नंदी हॉल की 100 अनुमति भी जारी नहीं की जा रही है। जबकि हर दिन 250 से अधिक श्रद्धालु नंदी हॉल में बैठकर भस्मारती दर्शन कर रहे हैं। ये श्रद्धालु कहां से आ रहे हैं, इसका जवाब मंदिर प्रशासन के पास भी नहीं है।

देश के 12 ज्योतिर्लिंगों में सिर्फ महाकाल मंदिर में ही भस्मारती होती है। देश-विदेश से श्रद्धालु भस्मारती दर्शन की चाह लिए उज्जैन आते हैं। तय संख्या से अधिक भक्तों के आने पर कई लोगों को अनुमति नहीं मिल पाती। ऐसे में दलाल इसका फायदा उठाते हैं और मनचाहे दाम पर अनुमति बेचते हैं।

हाल ही में पुलिस ने एक ऐसे ही दलाल को पकड़ा है। इससे मंदिर की भस्मारती अनुमति की व्यवस्था पर सवाल उठ गए हैं। नईदुनिया ने मामले की पड़ताल की तो पता चला कि अभी भी वीआईपी के नाम पर अनुमति जारी कराने का रैकेट सक्रिय है।

नंदीहॉल की ही बात करें तो मंदिर प्रशासन प्रतिदिन 70-80 अनुमति जारी कर रहा है। हालांकि यहां हर दिन 250 से अधिक श्रद्धालु नजर आते हैं। सूत्र बताते हैं कि पंडित-पुरोहित के यजमान सहित कर्मचारियों से जुड़े लोगों को यहां बैठा दिया जाता है। इसके एवज में मोटी रकम वसूल की जाती है।

पंडे-पुजारियों को दी जाती है अनुमति

मंदिर समिति पंडे-पुजारियों के यजमानों के नाम पर प्रतिदिन बड़ी संख्या में अनुमति जारी करती है। हालांकि हर दिन इतने यजमान कहां से आते हैं, यह पता नहीं लगाया जाता। पंडे-पुजारी यजमान के नाम पर किसी की भी अनुमति जारी करा लेते हैं। सूत्र बताते हैं कि स्र्पए का लेन-देन कर ऐसा किया जाता है।