हिन्दू धर्म में वर्ष भर में मनाए जाने वाले त्योहारों में मकर संक्रांति का त्योहार विशेष रूप से धार्मिक और आध्यात्मिक चेतनाओं की जागृति का पर्व है जो भारत में बहुत विराट स्वरूप में मनाया जाता है। इस बार मकर संक्रांति को लेकर एक विशेष स्थिति बनी हुई है। असल में जिस दिन सूर्य का मकर राशि में प्रवेश होता है उस दिन मकर संक्रांति मनाई जाती है।
ज्योतिषीय दृष्टि से सूर्य एक राशि में एक माह तक संचरण करता है तथा फिर अगली राशि में प्रवेश करता है। इस प्रकार सूर्य बारह राशियों के राशि चक्र को एक वर्ष में पूरा करता है। सूर्य जब भी एक राशि से निकलकर दूसरी राशि में प्रवेश करता है तो इसे ही संक्रांति कहा जाता है। इस प्रकार एक वर्ष में सूर्य की कुल बारह संक्रांतियां होती हैं पर इनमें मकर संक्रांति सबसे ज्यादा महत्व रखने वाली। सूर्य जिस दिन धनु राशि से निकलकर मकर राशि में प्रवेश करता है उसी दिन मकर संक्रांति का पर्व मनाया जाता है। ज्योतिष में मकर राशि का स्वामी शनि को माना गया है और मकर संक्रांति के दिन भगवान सूर्य अपने पुत्र शनि के घर में प्रवेश करते हैं इसलिए इस दिन का बहुत विशेष महत्व होता है। मकर संक्रांति के दिन से ही उत्तरायण का भी आरम्भ होता है जो मकर संक्रांति के पर्व की महत्ता को और ज्यादा बढ़ा देता है। उत्तरायण शुरू होने से दिन बड़ा होने लगता है तथा रात छोटी होती हैं। सूर्य उत्तर दिशा की ओर बढ़ने लगता है। मकर संक्रांति के दिन खर मास समाप्त होकर सभी शुभ मंगल कार्य शुरू हो जाते हैं । मकर संक्रांति पर तीर्थ स्नान, पूजन, जप, तप, अध्यात्मिक साधना और यज्ञ आदि का तो विशेष महत्व होता ही है पर इस दिन किए गए दान बहुत बड़ा महत्व बताया गया है इसलिए इस दिन अपनी श्रद्धा और क्षमता के अनुसार खाद्य पदार्थ या वस्त्र आदि अवश्य दान करें।
इस बारे में ज्योतिष विभोर इंदूसुत के अनुसार ज्योतिषीय गणनाओं के अनुसार सूर्य का मकर राशि में प्रवेश 14 जनवरी को होता है जिस कारण इस दिन मकर संक्रांति पर्व मनाया जाता है पर ये हमेशा के लिए आवश्यक नहीं है कि 14 तारिख को ही सूर्य का मकर राशि में प्रवेश हो। इस बार वैदिक गणित और हिन्दू पंचांग के अनुसार इस बार सूर्य का मकर राशि में प्रवेश 14 और 15 जनवरी की मध्य रात्रि में रात 2 बजकर 8 मिनट पर होगा इसलिए 14 जनवरी को तो पूरे दिन सूर्य धनु राशि में ही रहेगा इससे 14 जनवरी को तो मकर संक्रांति का कोई तर्क बनता ही नहीं है। 14 तारिख बीतने पर रात 2 बजकर 8 मिनट पर सूर्य का मकर राशि में प्रवेश होगा जिस कारण मकर संक्रांति का पुण्य काल 15 जनवरी को होगा। इसलिए इस दिन मकर संक्रांति का त्योहार मनाया जाएगा। अगर पिछले दस वर्षों को देखें तो वर्ष 2011, 2012, 2015, 2016 और 2019 में भी मकर संक्रांति 15 जनवरी को मनेगी।
अपनी राशि के अनुसार इन वस्तुओं का करें दान
मेष – गुड़ और लाल मसूर दान करें।
वृष- सतनजा (सात अनाज ) और कम्बल दान करें
मिथुन- काला कंबल दान करें।
कर्क- साबुत उड़द दान करें। र्
सिंह- लाल मसूर और ऊनी वस्त्र दान करें।
कन्या -चने की दाल और कंबल दान करें।
तुला – काला कंबल दान करें ’
वृश्चिक- सतनजा (सात अनाज) दान करें।
धनु – गुड़ और साबुत उड़द दान करें।
मकर- साबुत उड़द और चावल का मिश्रण दान करें।
कुम्भ – काला कंबल और सरसों का तेल दान करें।
मीन- साबुत उड़द दान करें