माले: मालदीव ने चीन के सुर में सुर मिलाते हुए भारत को चेतावनी दी है कि, भारत ऐसा कोई काम ना करे जिससे मालदीव को अपने राजनीतिक गतिरोध सुलझाने में दिक्कत हो. मालदीव के विदेश मंत्रालय ने गुरुवार रात एक बयान में कहा कि, राष्ट्रपति अब्दुल्ला यामीन की सरकार ने भारत सरकार की ओर से जारी सार्वजनिक बयानों पर गौर किया है, जिसमें मालदीव के मौजूदा राजनीतिक घटनाक्रम के बाबत ‘तथ्यों एवं जमीनी हकीकत की अनदेखी’ की गई है.
गौरतलब है कि, मालदीव के आपातकाल की अवधि बढ़ जाने पर भारत ने गहरा क्षोभ व्यक्त किया था, जिसके बाद मालदीव के विदेश मंत्रालय की ओर से यह बयान आया है. विदेश मंत्रालय ने कहा है कि, ‘इस बात में कोई शक नहीं है कि मालदीव अपने इतिहास के सबसे मुश्किल दौरों में से एक से गुजर रहा है. लिहाजा, यह अहम है कि, भारत सहित अंतरराष्ट्रीय समुदाय में मित्र एवं साझेदार ऐसी किसी कार्रवाई से दूर रहें जिससे देश के सामने मौजूद हालात को सुलझाने में बाधा पैदा होती हो.’
मालदीव में आपातकाल की अवधि बढ़ाने पर नाखुशी जाहिर करते हुए भारत ने गुरुवार को कहा था कि, वह ऐसा करने के लिए मालदीव की संसद के पास कोई ठोस वजह नहीं देखता. आपको बता दें कि, मालदीव के मौजूदा राष्ट्रपति अब्दुल्ला यामीन के चीन से अच्छे सम्बन्ध हैं और चीन ने भी भारत को मालदीव में हस्तक्षेप ना करने की सलाह दी है. वजह साफ है कि, यह चीन, पाकिस्तान और अब्दुल्ला यामीन की मिलीभगत है. जबकि जेल में बंद पूर्व राष्ट्रपति मो. नशीद भारत के समर्थकों में से माने जाते हैं .
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