राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के सरकार्यवाह सुरेश भैयाजी जोशी ने भारत के विश्वगुरु बनने में आम आदमी और देश के गरीब के योगदान को लेकर अपना विचार व्यक्त किया है. अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के 66वें राष्ट्रीय अधिवेशन का उद्घाटन करते हुए भैयाजी जोशी ने कहा, “इस देश का गरीब और आम आदमी जब सशक्त होगा तभी यह देश विश्वगुरु बन सकता है.”

उन्होंने कहा, “भारत की ताकत कमजोर वर्ग और आम आदमी की ताकत में ही निहित है. जब आम आदमी गरीब और कमजोर तबके का सशक्तिकरण होगा तभी हमारा देश विश्वगुरु की राह पर आगे बढ़ेगा.”
रेशिमबाग, नागपुर में आयोजित अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के 66वें राष्ट्रीय अधिवेशन का उद्घाटन भैयाजी जोशी के हाथों हुआ. समारोह को देश भर में चार हजार से अधिक ऑनलाइन मंचों पर दिखाया गया था.
अधिवेशन में भैयाजी जोशी ने कहा कि हमारे देश ने महामारी के दौरान सामाजिक जिम्मेदारी का साहस और समझदारी दिखाई. जिस तरह से हम जीवन को देखते हैं वह सबसे ऊंचा है और हमारे मूल्य इसमें हमारी ताकत साबित होते हैं. आज हमारा देश खाद्य सुरक्षा, रक्षा, विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में आत्मनिर्भरता की ओर तेजी से बढ़ रहा है, यह हमारे लिए गर्व की बात है. देश में शिक्षा के क्षेत्र में अंतरराष्ट्रीय सुविधाएं भी उपलब्ध हैं. विदेशी लोग भी हमारे देश में शिक्षा ग्रहण करने आ रहे हैं.
भैयाजी जोशी ने कहा, “अंतरराष्ट्रीय स्तर पर हमारे देश की छवि बेहतर हो रही है. हमारी युवा पीढ़ी देश को अमेरिका और चीन बनाने के लिए तत्पर है. लेकिन हमें यह समझना होगा कि हमारे देश की अपनी विशेषताएं हैं जो भारत को और देशों से अलग बनाती हैं और एक सकारात्मक शक्ति के साथ दुनिया के सामने पेश करती हैं. हमारी शक्ति दूसरों पर अत्याचार करने के लिए नहीं है. हमारी शक्ति कमजोरों की रक्षा करना है.” उन्होंने कहा कि हमारे अंदर ब्रह्मांड से नकारात्मकता को दूर करने की शक्ति है. भारत को यह उपहार ईश्वर से मिला है.
भैयाजी जोशी ने कहा, “हमें समर्थन के लिए किसी के सामने झुकने की आवश्यकता नहीं है. भारत कभी किसी के सामने नहीं झुकेगा. हमें सभी क्षेत्रों में आत्मनिर्भर बनना चाहिए. हमारा लक्ष्य विश्वगुरु बनने का है और हमें इसमें विश्वास रखना चाहिए.” उन्होंने कहा कि सपना तभी साकार होता है जब आपके मन के अंदर अपने सपने को लेकर मजबूत विश्वास हो. जब तक यह विश्वास कायम नहीं होगा तब तक आपका सपना पूरा नहीं होगा.