भारतीय नौसेना के एंटी-सबमरीन वॉरफेयर शैलो वाटर क्राफ्ट के आठ जहाजों में से तीसरे जहाज ‘अंजदीप’ को लॉन्च कर दिया गया है। इसका निर्माण कोलकाता की कंपनी गार्डन रीच शिपबिल्डर्स एंड इंजीनियर्स (जीआरएसई) ने किया है। वहीं, अंजदीप की लॉन्चिंग मंगलवार को तमिलनाडु के कट्टुपल्ली बंदरगाह के लार्सेन एंड टुब्रो में शिपयार्ड में किया गया है।

कैसे रखा गया अंजदीप नाम?
अप्रैल 2019 में गार्डन रीच शिपबिल्डर्स एंड इंजीनियर्स और रक्षा मंत्रालय के बीच जहाज निर्माण के लिए एक कॉन्ट्रैक्ट साइन हुआ था, जिसके तहत यह उन आठ जहाजों में से तीसरा जहाज है। एक आधिकारिक विज्ञप्ति में यहां कहा गया है कि जहाज का नाम कर्नाटक के कारवार बंदरगाह पर स्थित अंजदीप द्वीप के नाम पर रखा गया है। यह इसके सामरिक समुद्री महत्व को दर्शाता है।
किस लिए हुआ अंजदीप का निर्माण?
अर्नाला श्रेणी के जहाज भारतीय नौसेना के सेवारत अभय वर्ग एएसडब्ल्यू कॉर्वेट्स की जगह लेंगे। जीआरएसई द्वारा निर्मित जहाजों का ‘अर्नाला’ श्रेणी के जहाज नौसेना के एंटी-सबमरीन वारफेयर कॉर्वेट के वर्तमान ‘अभय’ श्रेणी की जगह लेंगे। इस जहाज को तटीय जल में पनडुब्बी-रोधी संचालन, कम तीव्रता वाले समुद्री संचालन, दूसरों के बीच उपसतह निगरानी करने के लिए डिजाइन किया गया है।
अंजदीप में क्या है खासियत?
नौसेना के जहाजों का 80 प्रतिशत स्वदेशीकरण होगा। लगभग 77 मीटर लंबे प्रत्येक जहाज में 25 समुद्री मील की अधिकतम गति और 1,800 समुद्री मील की सहनशीलता के साथ 900 टन का विस्थापन होगा। वाइस एडमिरल और सामरिक बल कमान के कमांडर इन चीफ आर बी पंडित आज लॉन्च समारोह में उपस्थित थे। रक्षा मंत्रालय द्वारा किए गए कॉन्ट्रैक्ट के अनुसार, चार जहाजों का निर्माण जीआरएसई, कोलकाता द्वारा किया गया है, जबकि शेष चार जहाजों को लार्सन एंड टुब्रो, शिपबिल्डिंग, कट्टुपल्ली को सौंपा गया है।
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