भाई आनंद कुमार को राज्यसभा भेजने की जुगत में बसपा सुप्रीमो मायावती
भाई आनंद कुमार को राज्यसभा भेजने की जुगत में बसपा सुप्रीमो मायावती

भाई आनंद कुमार को राज्यसभा भेजने की जुगत में बसपा सुप्रीमो मायावती

लखनऊ। बहुजन समाज पार्टी में भाई-भतीजावाद के साथ ही परिवारवाद की विरोधी माने जाने वाली पार्टी की मुखिया ने अपना चोला बदल दिया है। मायावती अब अपने भाई आनंद कुमार को राज्यसभा भेजने की जुगत में लग गई हैं। आनंद कुमार को उन्होंने पार्टी में उपाध्यक्ष बनाया है।भाई आनंद कुमार को राज्यसभा भेजने की जुगत में बसपा सुप्रीमो मायावती

लोकसभा उप चुनाव में बहुजन समाज पार्टी के समाजवादी पार्टी के प्रत्याशियों को समर्थन देने के साथ ही उत्तर प्रदेश में सियासत की नई बिसात बिछती दिख रही है। शुरुआत बहुजन समाज पार्टी ने कर दी है। इसी कड़ी में राज्यसभा की खाली हो रही उत्तर प्रदेश दस सीटों के लिए सियासी हलचल तेज है। राज्यसभा से इस्तीफा देने वाली मायावती अब अपने भाई आनंद कुमार को राज्यसभा प्रत्याशी बना सकती हैं। इस संबंध में अटकलें तेज हैं।

बसपा मुखिया मायावती ने एक तय रणनीति के तहत अपनी राज्यसभा की सदस्यता छोड़ी है। इसके बाद अपने भाई आनंद कुमार को पार्टी का राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बनाकर नंबर दो की पोजीशन दी है। अब वह आनंद कुमार को सक्रिय राजनीति में लाकर राष्ट्रीय स्तर पर स्थापित करना चाहती हैं।

उत्तर प्रदेश में मौजूदा विधानसभा का गणित देखें तो भारतीय जनता पार्टी बड़ी आसानी से आठ राज्यसभा सदस्य बना सकती है। समाजवादी पार्टी एक सीट अपने नाम आसानी से कर लेगी, लेकिन आखिरी दसवीं सीट के लिए भाजपा के साथ ही विपक्ष में घमासान होने की पूरी उम्मीद है। यह एक सीट जीत से कहीं ज्यादा वर्चस्व कायम करने की लड़ाई का आधार मानी जा रही है।

राज्यसभा चुनाव की गणित

राज्यसभा सदस्य के निर्वाचन का अधिकार विधानसभा सदस्य को होता है। यूपी में 403 विधानसभा सीट हैं और राज्यसभा के चुनाव 10 सीटों के लिए होना है।

– चुनाव का फॉर्मूला है, खाली सीटें में एक जोड़ से विधानसभा की सदस्य संख्या से भाग देना। निष्कर्ष में भी एक जोडऩे पर जो संख्या आती है। उतने ही वोट एक सदस्य को राज्यसभा चुनाव जीतने के लिए चाहिए। यूपी में विधानसभा सदस्यों की संख्या 403 है। यहां से राज्यसभा की दस खाली सीट हैं। यानी 10 सीटों में एक को जोड़ा तो हुए 11। अब 403 को 11 से भाग देते हैं तो आता है 36.63। इसमें एक जोड़ा जाए तो आते हैं 37.63।

यूपी राज्यसभा चुनाव जीतने के लिए एक सदस्य को औसतन 38 विधायकों का समर्थन चाहिए। इस लिहाज से आकड़े की बात करें तो यहां भाजपा गठबंधन के खाते में आठ और सपा के सपा के खाते में एक सीट जा रही है। समाजवादी पार्टी के पास 47 विधायक हैं। बची एक सीट के लिए विपक्ष का एकजुट होना जरूरी है क्योंकि सपा की बची 10, बसपा की 19 और कांग्रेस की 7 सीटें मिलाकर ही अपने संयुक्त उम्मीदवार को राज्यसभा भेज सकते हैं।

यूपी विधानसभा में सीटों की गणित

यूपी में विधानसभा की 403 सीटें

राज्यसभा के लिए 31 सीटें

बीजेपी – 312

सपा- 47

बसपा-19

अपना दल (सोने लाल) – 9

कांग्रेस- 7

सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी – 4

राष्ट्रीय लोक दल – 1

निर्बल इंडिया शोषित हमारा आम दल – 1

निर्दलीय – 3

नाम निर्देशित – 1

राज्यसभा की एक सीट के लिए गणित

आठ सीट पर जीत के बाद भाजपा तथा गठबंधन के पास 21 विधायक बचेंगे। सपा की एक सीट पर जीत के बाद नौ विधायक बचेंगे। गठबंधन की स्थिति में बसपा के 19, सपा के 9, कांग्रेस के सात विधायक मिलाकर 35 विधायक होते हैं। यहां तीन निर्दलीय और लोकदल के एक विधायक की भूमिका विपक्ष के गठंधन के लिए अहम साबित हो सकता है। 

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